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समय से बच्चों का टीकाकरण जरूरी, उपयोगी और प्रभावी भी

नियमित टीकाकरण की दर बढ़ने से शिशु मृत्यु दर में आई कमी : डॉ. अजय गुप्ता

लखनऊ : नन्हे-मुन्ने बच्चे तेरी मुट्ठी में क्या है, मुट्ठी में है तकदीर हमारी… बच्चे अपनी तकदीर तभी बना पाएंगे जब वह रोग मुक्त रहेंगे I जन्म के तुरंत बाद बच्चे को रोगमुक्त बनाने के लिए सर्वप्रथम माँ का दूध दिया जाता है जो कि पहला टीका कहलाता है, उसके बाद नियमित टीकाकरण के माध्यम से 12 बीमारियों से बचाव के लिए पाँच साल में सात बार टीके लगाए जाते हैं। प्रत्येक टीके को निर्धारित समय पर ही प्राप्त कर लेना आवश्यक भी है और उपयोगी भी, ससमय टीकाकरण अधिक प्रभावकारी होता है। प्रदेश के नियमित टीकाकरण के पिछले लगभग 14 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिलती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 (एनएफएचएस, 2005-06) के आंकड़ों के अनुसार 12 से 23 माह के कुल 23 फीसद बच्चों का पूर्ण टीकाकरण हुआ था, एनएफएचएस-4 (साल 2015-16) में 51.1 फ़ीसद और एनएफएचएस-5 (साल 2019-21) में यह आंकड़ा बढ़कर 69.6 फीसद हो गया है I एनएफएचएस- 3 में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 73 थी, जो साल एनएफएचएस-4 घटकर 63.5 और एनएफएचएस-5 में घटकर 50.4 फीसद हो गई। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि शिशु मृत्यु दर को कम करने में नियमित टीकाकरण की अहम भूमिका है।

राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डा. अजय गुप्ता बताते हैं कि शिशु मृत्यु दर में कमी का एक प्रमुख कारण नियमित टीकाकरण है। नियमित टीकाकरण में तेजी लाने के लिए समय-समय पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में शहरी क्षेत्र में वृद्धि लाने के उद्देश्य से जिला महिला चिकित्सालय, पुरुष चिकित्सालयों एवं शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में प्रत्येक सप्ताह रविवार सहित प्रत्येक दिन प्रातः आठ बजे से दोपहर दो बजे तक नियमित टीकाकरण सत्र का आयोजन किया जा रहा है I शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी) में सोमवार को छोड़कर सप्ताह के प्रत्येक दिन नियमित टीकाकरण सत्र का आयोजन किया जा रहा है I प्रदेश सरकार की इस पहल को एक वर्ष पूरा हो गया है। जनवरी 2023 से अप्रैल 2024 तक राज्य के सभी 75 जनपदों में कुल 746 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर 2,15,304 सत्रों का आयोजन कर लगभग 17 लाख बच्चों का नियमित टीकाकरण किया गया है।

नियमित टीकाकरण प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर संक्रामक बीमारियों से बचाता है : डॉ. मनोज शुकुल

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नियमित टीकाकरण के महाप्रबंधक डा.मनोज शुकुल बताते हैं कि नियमित टीकाकरण प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर संक्रामक बीमारियों से बचाता है। नियमित टीकाकरण में वृद्धि जनता की भागीदारी एवं विभाग द्वारा अपनाई गई बेहतर रणनीति का परिणाम है, जिसमें उच्च स्तर के अधिकारियों से लेकर जमीनी स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सहयोगी संस्थाओं की अहम भूमिका है। आज भी सौ फीसद नियमित टीकाकरण के लक्ष्य को पाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं विभाग के सामने चुनौतियाँ हैं लेकिन सभी के सहयोग से इन चुनौतियों को पार करते हुए हम शीघ्र ही सौ फीसद के लक्ष्य को पा लेंगे। बताते चलें कि हर साल 24 से 30 अप्रैल तक विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है। इस साल इस सप्ताह की थीम है- मानवीय रूप से संभव : सभी के लिए टीकाकरण। भारत में वर्ष 1978 में टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया और 1985 में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में इसका रूपान्तरण हुआ। यह कार्यक्रम विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।

12 बीमारियों से बचाते हैं टीके : टीबी, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, डिप्थीरिया, टिटनेस, मीजल्स, रूबेला, परट्यूटिस (काली खांसी), निमोनिया, जेई, हीमोफिलस इन्फ़लुएंजा टाइप बी और वायरल डायरिया।