1787 में हुआ था सारनाथ का प्रथम उत्खनन
सारनाथ के शिलापट्ट पर अंकित विवरण गलत
वाराणसी : सारनाथ के उत्खनन क्षेत्र में लगे शिलापट्ट पर अंकित विवरण गलत है। बाबू जगत सिंह काशी नरेश चेत सिंह के दीवान नहीं थे। सर्वप्रथम इस स्थान का उत्खनन बाबू जगत सिंह द्वारा कराया गया था। उत्खनन में दो बेलनाकार मंजूषा के मिलने के उपरांत उत्खनन कार्य रोक दिया गया था।मंजूषाओं को एशियाटिक सोसायटी कोलकाता को सौंप दिया गयाथा। यह संपूर्ण विवरण आज भी एशियाटिक सोसाइटी ऑफ कोलकाता के रजिस्टर में दर्ज है। इस स्थान की खुदाई का सर्वप्रथम श्रेय कर्नल सी मैकेंजी या कनिंघम को नहीं है। उन्होंने खुदाई क्रमशः 1815 एवं 1834-36 में किया था। जबकि बाबू जगत सिंह ने खुदाई 1787 में कराया था। उपरोक्त बातें प्रोफेसर राणा पीबी सिंह ने स्लाइड शो के माध्यम से अशोक मिशन एजुकेशनल सोसाइटी द्वारा आयोजित एकल व्याख्यान के अंतर्गत- अज्ञात का अन्वेषण, सारनाथ खोज की गुत्थी विषय पर बोलते हुए वाराणसी के गाइडो के समक्ष, लहुराबीर स्थित प्रदीप होटल में मंगलवार को कहा।
प्रोफेसर सिंह ने ‘लास्ट हीरो आफ बनारस- बाबू जगत सिंह’ पुस्तक के तृतीय अध्याय का उल्लेख करते हुए सारनाथ में लगे शिलापट्ट पर अंकित विवरण को ठीक करने का अनुरोध भी भारत सरकार से किया। कार्यक्रम का संचालन अशोक आनंद एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम में टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन, वाराणसी, अप्रूव टूरिस्ट गाइड्स संगठन, सारनाथ टूरिस्ट गाइड्स संगठन, इनक्रेडिबल टूरिस्ट फैसिलिटेटर के सदस्य गण उपस्थित रहे। इस अवसर पर जैनेंद्र कुमार राय, राजेश्वर सिंह, राजेंद्र पांडे, विक्रम मेहरोत्रा, डॉ रामसुथार सिंह, सुप्रसिद्ध भजन गायक ओमप्रकाश, एडवोकेट अरविंद सिंह, डॉक्टर अलका रानी गुप्ता, अखिलेश कुमार, डा.मदन गोपाल विश्वकर्मा, डॉक्टर प्रियंका झा एवं एके पांडे उपस्थित रहे।