राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर समर्पण इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग में चर्चा
प्रिंसिपल ने संस्थान को डेंगू मुक्त बनाने का लिया संकल्प
लखनऊ : राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर राष्ट्रीय वेक्टर बार्न डीजीज कार्यक्रम के तहत राजधानी के समर्पण इंस्टिट्यूट ऑफ़ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंसेज में सहयोगी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), पाथ और एम्बेड के सहयोग से सहज स्वास्थ्य चर्चा आयोजित हुई। “समुदाय से जुड़ें-डेंगू पर नियंत्रण पाएं” थीम पर आयोजित चर्चा की अध्यक्षता प्रदेश के संयुक्त निदेशक मलेरिया और डेंगू डॉ. विकास सिंघल ने की। इसके जरिये स्वास्थ्य विभाग, तकनीकी विशेषज्ञ, शिक्षक और छात्र एक मंच पर आये और डेंगू से बचाव, उपचार और प्रबन्धन को लेकर चर्चा की व जानकारी साझा की। इसके साथ ही मनोरंजक गतिविधियों के माध्यम से डेंगू सम्बन्धी जो संदेश प्राप्त किये उसे वह अपने परिवार, पड़ोसियों तथा रिश्तेदारो तक पहुंचा पाएंगे। चर्चा में शामिल नर्सिंग के लगभग 400 छात्र-छात्राओं ने डेंगू पर पूर्ण नियन्त्रण की शपथ ली। छात्र-छात्राओं ने डेंगू के लक्षण व बचाव पर लघु नाटिका प्रस्तुत की और जागरूकता सम्बन्धी पोस्टर तैयार किये। इन छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया।
इस मौके पर डॉ.सिंघल ने कहा कि डेंगू मच्छरों से होने वाली एक वेक्टर जनित बीमारी है और हर साल हजारों लोग इससे पीड़ित होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से वर्ष 2016 से हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है ताकि मानसून की शुरुआत से पहले ही डेंगू निवारक सभी जरूरी उपाय किए जा सकें। यह एडीज मच्छर द्वारा फैलता है और इस बीमारी से उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश प्रभावित होता है। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है। उन्होंने कहा कि डेंगू मरीजों के बेहतर इलाज के लिए राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, जिला और ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में सभी उपचार सुविधाओं और मच्छरदानी से सुसज्जित डेंगू वार्ड स्थापित किए गए हैं। डेंगू और चिकनगुनिया की एलाइजा जांच के लिए किट उपलब्ध हैं। इसलिए बुखार और तेज शरीर दर्द की स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच जरूर कराएँ।
डॉ. सिंघल ने बताया कि डेंगू के हर मामलों में अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होती। बुखार है और मरीज आराम से खा पी रहा है तो घर पर ही रहकर इलाज किया जा सकता है लेकिन तेज बुखार के साथ घबराहट, चक्कर आना, ब्लड प्रेशर कम होना, लगातार उल्टियाँ आना, हाथ-पैरों में दर्द या शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उसे तुरंत ही अस्पताल ले जाएं। डेंगू में विशेष ध्यान रखें कि शरीर में पानी की कमी न होने पाए क्योंकि पानी की कमी से मरीज शॉक में चला जाता है। इसलिए डेंगू होने पर ओआरएस, तरल पेय पदार्थ का सेवन करें। डेंगू के उपचार में फ्लूड मैनेजमेंट ही महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में प्रदेश के प्रमुख कीट विज्ञानी सुदेश ने “हर रविवार मच्छरों पर वार, लार्वा पर प्रहार, बुखार में देरी पड़ेगी भारी” का नारा देते हुए कहा कि जो जानकारी यहां मिली हैं उसका उपयोग खुद करें और परिवार और दोस्तों को भी जानकारी दें जिससे कि डेंगू से बचाव हो सके। इससे इस साल की थीम “समुदाय से जुड़ें-डेंगू नियंत्रित करें” सार्थक होगी। चर्चा में उपस्थित सभी लोगों को सुदेश ने डेंगू नियन्त्रण में अहम भूमिका निभाने की शपथ दिलाई। मलेरिया निरीक्षक समीर ने बताया कि डेंगू से बचाव में जल जमाव के स्थलों को ख़त्म करना महत्वपूर्ण है। घरों और आस पास उन जगहों को पहचानें जहां पर पानी इकट्ठा है और उसका निस्तारण करें। मच्छरों से बचने के लिए पूरी बांह के कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। खिड़की-दरवाजों पर जाली लगवाएं। स्वयंसेवी संस्था पाथ की डा. शिवानी ने डेंगू रिपोर्टिंग के बारे में जानकारी दी। एम्बेड के क्षेत्रीय समन्वयक धर्मेंद्र त्रिपाठी ने गंबूज़िया मछली किस तरह से डेंगू का लार्वा खाती हैं, इसका प्रदर्शन करके दिखाया।
संस्थान के प्रबंधक डा.आर. एस. दुबे ने बताया कि यह कार्यक्रम बहुत ही लाभकारी रहा।छात्र छात्राओं को डेंगू से बचाव और प्रबंधन की जानकारी मिली। संस्थान की प्रधानाचार्य डा. दीप्ति शुक्ला ने बताया कि संयुक्त निदेशक और उनकी टीम द्वारा संस्थान में ऐसी जगह जहां पर पानी इकट्ठा था उसका निरीक्षण किया गया। जहां पर डेंगू का लार्वा मिला वहां लार्वाभक्षी मछली गंबूजिया डाली गई और सोर्स रिडक्शन किया गया। इसके साथ ही डा. दीप्ति ने संस्थान को डेंगू मुक्त करने का संकल्प लिया। सवाल-जवाब सत्र का संचालन सीफार संस्था द्वारा किया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं के डेंगू के प्रमुख लक्षणों के बारे में सवाल पर डॉ. सिंघल ने बताया कि अचानक तेज बुखार, गंभीर रूप से सिरदर्द, जोड़ों-मांशपेशियों में तेज दर्द और जी मिचलाना व उल्टी आना डेंगू के चार प्रमुख लक्षण हैं। सहज स्वास्थ्य चर्चा के आयोजन को सफल बनाने के लिए सीफार ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।