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पृथ्वी का बचाव जरूरी, इससे छेड़छाड़ के परिणाम हो सकते हैं भयावह!

SMS लखनऊ में सम्पन्न हुई दो दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी

लखनऊ : स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साईंसेज, लखनऊ में 29 व 30 जून, 2024 को- ‘सोर्सेज ऑफ प्लैनेट एनर्जी, इनवायरमेंटल एण्ड डिजास्टर साईंस: क्लाईमेट जस्टिस एण्ड इक्विटी-स्पीड्स-2024’’ शीर्षक पर दो दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न शैक्षणिक, समाजसुधारक, पर्यावरणविद् एवं उद्योगपतियों ने भाग लिया। संगोष्ठी का आरम्भ द्वीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डा. शकुन्तलादेवी मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ के माननीय कुलपति प्रोफेसर संजय सिंह, इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया), यूपी स्टेट सेंटर, लखनऊ के अध्यक्ष ईं. सत्यप्रकाश, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान आकादमी, नई दिल्ली के पूर्व सलाहकार (विज्ञान कम्यूटेंशन) के डॉ. सी.एम. नॉटियाल के साथ-साथ पूर्ण सत्र में डॉ. आलोक कुमार, पूर्व डीन तथा निदेशक, प्रबंधन अध्ययन संकाय, जी.एन.एस. विश्वविद्यालय, रोहतास, डॉ. बलराजसिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रानिक्स और संचारी इंजीनियरिंग विभाग, बी.बी.ए.यू. लखनऊ, डॉ. पूजा श्रीवास्तव, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ जैसे ज्ञानीजनों ने भाग लेकर तथा अपने विचारों का सम्प्रेषण संगोष्टी में उपस्थित विद्वजनों एवं प्रतिनिधियों को किया।

प्रो. संजय सिंह ने कहा कि संगोष्ठी का शीर्षक ही अपने आप में बहुत ही विस्तृत विषय है। यदि हमारे समाज द्वारा आज पृथ्वी को बचाया न गया और लगातार इससे छेड़छाड़ की जाती रही तो परिणाम भयावह हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऊर्जा दोहन के कारण ही हम प्रकृति के साथ अन्याय किया जा रहा है। अतः हमें संगठित रूप से पवन, सौर ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जाओं का उपयोग किया जाना चाहिए। ई. सत्य प्रकाश ने प्रकृति और पक्षियों के संरक्षण पर बल दिया वहीं डॉ. सी.एम. नौटियाल ने बताया कि तापमान में बदलाव के कारण गर्मी की लहरें बढ़ती हैं और अंततः चक्रवात, अनिश्चित बारिश और अन्य भूवैज्ञानिक घटनाओं की पुनरावृत्ति होती है। डॉ. नौटियाल ने सौर तथा पवन ऊर्जा से भी अवगत कराते हुए कहा कि ज्वारीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधन का अच्छा विकल्प हो सकती है। संगोष्ठी में विभिन्न इंजीनियरिंग एवं डिग्री कॉलेज के शैक्षणिक स्टाफ, रिसर्च स्कॉलर एवं पर्यावरणविद्ों ने शीर्षक पर आधारित अपना प्रस्तुतिकरण किया। कार्यक्रम के कन्वीनर डॉ. पी.के. सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण ने बताया कि कुल 69 प्रस्तुतिकरण किये गये, जिनकी कार्यवाही एवं संस्तुतियों को सरकार को अग्रसारित किया जायेगा।

कार्यक्रम के समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. जगबीर सिंह, निदेशक, कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर, एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ रहे। समापन सत्र में विशेष अतिथि श्री सुशील कुमार गुप्ता, वित्त अधिकारी, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के साथ-साथ डॉ. उषा बाजपेयी, भौतिक विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं इं. विजय प्रताप सिंह, भी उपस्थित रहे। संगोष्ठी के सफल आयोजन पर संस्थान के सचिव एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी शरद सिंह ने समस्त स्टाफ को शुभकामनाएं दी और कहा कि संस्थान वर्ष 2013 से लगातार इस प्रकार के अखिल भारतीय संगोष्ठियों का आयोजन करता आ रहा है, जिसका मूलतः परम् उद्देश्य समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है। संगोष्ठी प्रो. (डॉ.) भरतराज सिंह, महानिदेशक (तकनीकी) के निर्देशन मेें सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई। संगोष्ठी में इं. वी.बी. सिंह, इंमीडियेट नेशनल पास्ट प्रेसीडेंट, इंस्टीट्यूटस ऑफ इंजीनियर्स, ओ.पी. शर्मा, मो. मुशर्रत नूर खान के साथ-साथ संस्थान के निदेशक, डॉ. आशीष भटनागर, निदेशक (प्रशासन) डॉ. जगदीश सिंह, एसोसियेट डायरेक्टर डॉ. धर्मेन्द्र सिंह, संगोष्ठी के ऑर्गेनाईजिंग सेक्रेटरी, डॉ. हेमन्त कुमार सिंह, कन्वीनर डॉ. पी.के. सिंह के साथ-साथ समस्त शैक्षणिक स्टाफ एवं आमंत्रित अतिथि उपस्थित रहे।