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यात्रा प्रतिबंध लागू करने की ट्रंप की कोशिश नाकाम

वाशिंगटन| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। संघीय अपीलीय अदालत ने इन देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश से संबंधित ट्रंप के कार्यकारी आदेश को निरस्त करने वाले अदालती फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। संघीय अपीलीय अदालत ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एकमत से यह फैसला दिया, जिसका अर्थ यह है कि इन सात देशों के नागरिक, जिनके अमेरिका में प्रवेश पर ट्रंप ने 27 जनवरी के अपने कार्यकारी आदेश के जरिये प्रतिबंध लगा दिया, अब अमेरिका की यात्रा कर सकेंगे। यह देश ईरान, इराक, सीरिया, यमन, लीबिया, सूडान व सोमालिया हैं।131048-donald-trump-2 (1)

ट्रंप ने अदालत के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फैसला आने के तुरंत बाद ट्रंप ने कहा कि वह इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, “अदालत में मिलेंगे, देश की सुरक्षा खतरे में है!”

न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अदालत के फैसले को ‘राजनीतिक फैसला’ करार दिया और कहा कि उनका प्रशासन सर्वोच्च न्यायालय में आसानी से इस मामले में जीत जाएगा।

ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने शुरुआती कार्यकारी आदेशों में से एक के जरिये ईरान, इराक, सीरिया, यमन, लीबिया, सूडान व सोमालिया के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर 90 दिनों के लिए अस्थाई रोक लगा दी थी, ताकि संघीय सुरक्षा एजेंसियां इस प्रक्रिया की बारीकी से जांच कर सकें।

‘न्यूयार्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट, सैन फ्रांसिस्को ने अपने निर्णय में कहा कि प्रशासन ने ऐसा कोई सबूत नहीं दिया कि इन सातों देशों में से किसी के भी नागरिक ने अमेरिका में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया हो।

 अदालत ने ट्रंप प्रशासन के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि अदालतों को राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्णयों की समीक्षा का अधिकार नहीं है।

अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ट्रंप के इरादों, इस संबंध में अपनी नीतियों को लागू करने की उनकी सोच का सम्मान करती है, लेकिन राष्ट्रपति इससे ज्यादा की मांग कर रहे हैं।

ट्रंप प्रशासन ने सिएटल में एक संघीय न्यायाधीश एल. रॉबर्ट के तीन फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिन्होंने राष्ट्रपति के आदेश के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी थी।