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अंतरिक्ष में बढा़ भारत का दबदबा, दुनियाभर की मीडिया ने रखा सर आंखों पर

NK-2नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मीडिया का कहना है कि भारत अंतरिक्ष आधारित सर्वेलंस और संचार के तेजी से बढ़ते वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरा है। इसरो ने बुधवार को पीएसएलवी-सी37 के जरिए श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से कुल 104 उपग्रह प्रक्षेपित किए, जिनमें से 96 उपग्रह अमेरिका के थे। इससे पहले रूस ने एक रॉकेट से 37 उपग्रहों को लॉन्च कर रेकॉर्ड बनाया था।

रशियन टेलिवीजन आरटी ने ‘ब्लास्टिंग रिकॉर्ड्स’ शीर्षक से उपग्रह प्रक्षेपण का सीधा प्रसारण किया। इससे एक दिन पहले भी आरटी ने अपने चैनल की वेबसाईट पर ‘इंडिया सेट टू रिकॉर्ड…’ शीर्षक से खबर प्रसारित की थी।

वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा है, ‘यह प्रक्षेपण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के लिए एक और बड़ी सफलता है। कम खर्च में सफल मिशन को लेकर इसरो की साख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बढ़ रही है।’ वॉशिंगटन पोस्ट ने यह भी लिखा है कि भारत पहले भी दर्जनों उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर चुका है, जिसमें पिछले साल एक बार में 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण शामिल है।

द न्यू यॉर्क टाइम्स का कहना है कि एक दिन में उपग्रहों के प्रक्षेपण के पिछले रेकॉर्ड के मुकाबले करीब तीन गुना ज्यादा, 104 उपग्रहों को प्रक्षेपण के बाद उनकी कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है। इसने अंतरिक्ष आधारित सर्वेलास और संचार के बढ़ते व्यावसायिक बाजार में भारत को ‘महत्वपूर्ण पक्ष’ के रूप में स्थापित कर दिया है। अखबार का कहना है, ‘प्रक्षेपण में खतरा बहुत ज्यादा था क्योंकि 17,000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से जा रहे एक रॉकेट से जिस तरह हर कुछ सेंकंड में गोली की रफ्तार से उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया है, उसे देखते हुए यदि एक भी उपग्रह गलत कक्षा में चला जाता तो वे एक-दूसरे से टकरा सकते थे।’ वहीं सीएनएन का कहना है, ‘अमेरिका और रूस की प्रतिद्वंद्विता को भूल जाएं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में वास्तविक दौड़ तो एशिया में हो रही है।’

लंदन के टाइम्स अखबार का कहना है कि इस उपलब्धि के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रभावशाली देशों के समूह में शामिल होने के लक्ष्य को स्पष्ट कर दिया है। ब्रिटिश अखबार ने अपने लेख में कहा है कि भारत के कई महत्वपूर्ण मिशन का खर्च उनके रूसी, यूरोपीय और अमेरिकी समकक्षों के मुकाबले बहुत कम रहा है। इसरो के मंगल मिशन का खर्च महज 7.3 करोड़ डॉलर था, जबकि नासा के ‘मावेन मार्स लांच’ में 67.1 करोड़ डॉलर का खर्च आया था।

ब्रिटेन के ही गार्जियन अखबार का कहना है कि नया रेकॉर्ड बनाने वाला यह प्रक्षेपण तेजी से बढ़ते निजी अंतरिक्ष बाजार में एक गंभीर पक्ष के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत बनाएगा। बीबीसी का कहना है कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में यह सफलता ‘इसका प्रतीक है कि भारत अरबों डॉलर के इस अंतरिक्ष बाजार में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर रहा है।’

 चीनी मीडिया ने भी अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की सफलता पर लिखा है। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार, ‘एक अंतरिक्ष मिशन में 104 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण कर भारत ने इतिहास बनाया है और वर्ष 2014 में रूस द्वारा एक साथ 37 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किए जाने का रेकॉर्ड भी तोड़ा है।