नई दिल्ली: महाशिवरात्रि, शनिवार और रविवार की तीन दिन की छुट्टी के बाद सोमवार 27 फरवरी को खुले बैंक मंगलवार से फिर से हड़ताल पर जा सकते हैं. नौ श्रमिक संघों की प्रतिनिधि संस्था, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) ने सरकार के जनविरोधी बैंक सुधारों के खिलाफ और विमुद्रीकरण के बाद कर्मचारियों द्वारा किए गए अतिरिक्त कार्य के मुआवजे की मांग को लेकर 28 फरवरी को एक दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है. सरकारी बैंक इस हड़ताल का हिस्सा रहेंगे लेकिन प्राइवेट बैंकों की ओर से ऐसा कोई ऐलान फिलहाल नहीं है.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) की अगुवाई में बैंककर्मियों की यूनियनों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. एसबीआई, पीएनबी और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित ज्यादातर बैंकों ने प्रस्तावित हड़ताल के बारे में अपने ग्राहकों को सूचित किया है और कहा है कि हड़ताल हुई तो उनकी शाखाओं और कार्यालयों में कामकाज प्रभावित होगा. ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटाचलम ने रविवार को एक बयान जारी करके कहा, “यूएफबीयू में बैंकिंग क्षेत्र के शामिल नौ संघों -एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ- से संबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों के कर्मचारी और अधिकारी, सभी पुरानी पीढ़ी के निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के कर्मचारी व अधिकारी 28 फरवरी को एक दिन की हड़ताल पर रहेंगे.”
बयान में कहा गया है, “बैंकिंग उद्योग में स्थायी नौकरियों को आउटसोर्स करने की हर कोशिश की जा रही है, जो जोखिमों से भरी है.” वेंकटाचलम ने कहा कि संघों द्वारा की गई मांगों का कोई समाधान निकालने की सभी कोशिशें बेकार जाने के बाद मजबूरन हड़ताल का आह्वान करना पड़ा है.
मुख्य श्रमआयुक्त के साथ 21 फरवरी को हुई बैठक का कोई नतीजा नहीं निकल पाया, क्योंकि बैंक प्रबंधन संस्था, इंडियन बैंक एसोसिएशन श्रमिक संघों की मांगों पर सहमत नहीं हुई. उल्लेखनीय है कि देश में 27 सार्वजनिक बैंकों का कुल कारोबार में लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है.