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बड़े-बड़े नेताओं के लिए यूं नाक का सवाल बनी काशी

वाराणसी। यूपी चुनाव के छठे चरण का मतदान जारी है, लेकिन पूरे देश की नजर वाराणसी पर है। शनिवार को न केवल वाराणसी से सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि सपा-कांग्रेस गठबंधन से अखिलेश यादव, राहुल गांधी, डिम्पल यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती भी बाबा विश्वनाथ की नगरी में रहेंगे तथा चुनाव प्रचार करेंगे। सवाल उठता है कि आखिर वाराणसी और इससे जुड़ीं विधानसभा सीटों का क्या सियासी गणित है कि एक ही दिन में ऐसे दिग्गजों को मैदान संभालना पड़ा। एक नजर इसी से जुड़ी अहम बातों पर –kashi-768x383

  • वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटे हैं- वाराणसी नॉर्थ, वाराणसी साउथ, वाराणसी कैंट, सेवापुरी और रोहानिया। इसके अलावा जिले में तीन अन्य सीटें -पिंडरा, अजगरा (सुरक्षित) और शिवपुर हैं।
  • वाराणसी नॉर्थ, वाराणसी साउथ और वाराणसी कैंट पर भाजपा का कब्जा है। वहीं रोहानिया और सेवापुरी सीट सपा ने और अजगरा व शिवपुर सीट बसपा ने जीती थी। पिंडरा सीट कांग्रेस को मिली थी।
  • पिछली बार सपा और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े थे। 2012 के आंकड़ों से साफ है कि इन सीटों पर सपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के कुल वोट विजयी प्रत्याशियों से अधिक थे। 
  • इस बार सपा और कांग्रेस को उम्मीद है कि साथ लड़ने का फायदा होगा और भाजपा को हराया जा सकता है।
  • यही कारण है कि गठबंधन ने पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है। इसी तरह प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने का कारण भाजपा की भी प्रतिष्ठा दांव पर है।
  • भाजपा को बागियों से भी जूझना पड़ा है। इसलिए भी पार्टी को प्रधानमंत्री की मदद लेना पड़ी है।
  • वाराणसी कैंट से भाजपा ने सौरभ श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया है। सौरभ को कुछ भाजपाई नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। वे मौजूदा विधायक ज्योत्सना श्रीवास्तव के बेटे हैं। कांग्रेस ने यहां से अनिल श्रीवास्तव को टिकट दिया है, जो इसी सीट से चार बार हार चुके हैं।
  • वाराणसी (नॉर्थ) से बसपा के सुजित मौर्या, तो भाजपा के रवींद्र जायसवाल को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने इस सीट से समद अंसारी को टिकट दिया है, जो मूल रूप स सपा नेता हैं।
  • वाराणसी (साउथ) पर मुख्य उम्मीदवार कांग्रेस के राजेश मिश्रा हैं। मिश्रा वाराणसी से सांसद रह चुके हैं। वे भाजपा के नीलकंठ तिवारी के खिलाफ लड़ रहे हैं।
  • सेवापुरी सीट पर भी भाजपा को बगावत झेलना पड़ी है। पार्टी अपने गठबंधन सहयोगी अनुप्रिया पटेल के अपना दल (सोनेलाल) के उम्मीदवार नीलरतन पटेल का समर्थन कर रही है। उनका मुख्य मुकाबला सपा के सुरेंद्र पटेल से है।
  • रोहनिया सीट पर भी मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा के सुरेंन्द्र नारायण औदे, अपना दल की कृष्णा पटेल और सपा के निवर्तमान विधायक व मंत्री महेंद्र पटेल के बीच सीधी टक्कर है।