लखनऊ । यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने माना पूर्वांचल पिछड़ा है , मैंने काम किया लेकिन माफिया मुख्तार और अतीक के सवाल पर बोले अब मै प्रदेश अध्यक्ष नही हूँ । पार्टी में किसे टिकट देना और कैसे चुनाव में उतरना है यह मेरा काम नही है । अपनी मजबूरी इशारो में बता दी ।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ताज होटल में एक निजी कार्यक्रम के पत्रकारवार्ता में अपने विकास गाथा बताते – बताते माना की बलिया,गाजीपुर,देवरिया ,मऊ प्रदेश के पिछड़े जिले है वहां भी काम हुआ है । लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ये भी ईमानदारी से मान लेना चाहिए की इस पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार कोई और नही सपा सरकार के मुखिया मुलायम सिंह ही है ।
पिछले 20 वर्षो से प्रदेश में सपा की सरकार रही जिसमे लम्बी पारी मुलायम सिंह के पास था । पूर्वांचल के इन पिछड़े जिलो को सपा का गढ़ मना जाता है । सपा की सरकार बनाने में पूर्वांचल की जनता ने बराबर बढ़चढ़कर मदद की । लेकिन सत्ता मिला तो बजट का एक तिहाई हिस्सा इटावा,सैफई,बांदा ,कन्नौज ,गाजियाबाद ,रामपुर व पश्चिम के जिलो में विकास के लिए लगाया गया । चुनाव नजदीक आते ही पूर्वांचल के पिछड़ेपन की याद आने लगी । अब इन जिलो की जनता भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहती है । जिसका उदारण देखने को मिला लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल की जनता जात-पात से ऊपर उठकर विकास के नाम पर वोट डाली । राजनीति की लम्बी पारी खेलने की उम्मीद में यूपी के मुखिया अखिलेश यादव ने पार्टी की पुरानी परम्परा को किनारे करके जब से विकास की राह पर कदम रखा तो पूर्वांचल में भी काम हुआ इसको नकारा नही जा सकता । यहां की जनता ने सपा के युवा नेतृत्व अखिलेश को सर आखो पर बैठाया लेकिन परिवारिक विवाद के चलते टिकट बटवारे की रार ने मुख्यमंत्री के चेहरे को धूमिल किया । फिर सपा विकास से मुह मोड़ अपराधियो के भरोसे सरकार बनाने की राह पर चल दी है । जिसका झलक टिकट बटवारे में देखने को मिला । एक बार फिर सपा बाहुबली मुख्तार अंसारी व अतीक जैसे माफिया को आगे करके पूर्वांचल की मुस्लिम मतदाताओ को साधना चाहती है । सत्तारूढ़ पार्टी की इस कदम से पूर्वांचल की जनता में निराशा है । जिसका लाभ भाजपा और बसपा को मिलना तय है । ज्ञात हो की 2012 की विधान सभा में जनता मायावती सरकार की भष्ट्राचार और कंक्रीट की पत्थरो के पार्को के निर्माण में प्रदेश की जनता अकुता गई थी । सामने माफियाओ , अपराधियो के पोषण वाली पार्टी थी । भाजपा और कांग्रेस के पास जनाधार व विजन नही था । अपनी पुरानी परम्पराओ को दोहराते हुए आजम खाँ ने माफिया डीपी यादव को पार्टी में ज्वाइन कराया । उस समय के निवर्तमान सपा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डीपी यादव को पार्टी से बाहर करखे सपा में एक उम्मीद बनकर उभरे । उनके इस कठोर निर्णय से सपा की छवि साफ़ हुई । पूर्वांचल की जनता ने अखिलेश का साथ दिया । सपा जो अपने लम्बे इतिहास में नही कर पाई वह अखिलेश के नेतृत्व में किया ।