योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार दूसरे दिन सोमवार को मेरठ में पशु कटान बुरी तरह प्रभावित रहा। मीट फैक्ट्रियों में कटान बंद रहा। वहीं शहर में अधिकांश मीट की दुकानें बंद रहीं। इस काम से जुड़े करीब पांच हजार लोग हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। मीट कारोबार से जुडे़ पांच हजार लोग सांसत में हैं। नई सरकार के गठन के बाद से मेरठ में पशु कटान बुरी तरह से प्रभावित है।
फैक्ट्रियों से से होती है शहर में मीट आपूर्ति
हालांकि मीट कारोबार करने वालों का कहना है कि वे इस धंधे को लेकर सरकार की नीति को देख रहे हैं। जो धंधा वैध है, उसे भला कैसे रोका जा सकता है। सूबे में भाजपा सरकार के गठन के बाद से मीट कारोबार पर सबकी निगाह है। भाजपा ने चुनाव पूर्व अपने घोषणापत्र में भी यांत्रिक कमेलों को बंद करने की बात कही थी। इसी का असर है कि मीट आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हो गई। क्योंकि फैक्ट्रियों में कटान लगभग बंद है। मीट लेने वाले फैक्ट्रियों में पहुंचे ही नहीं। पुलिस भी इस तरफ अलर्ट है। यही कारण रहा कि सोमवार को भी मीट फैक्ट्रियों में कटान नहीं हो सका।
घोसीपुर में नगर निगम का कमेला बंद होने के कारण महानगर में मीट की आपूर्ति के लिए हापुड़ रोड स्थित मीट फैक्ट्रियों में पशुओं का कटान हो रहा था। शहर में प्रतिदिन 250 से 300 पशुओं के मांस की खपत बतायी जाती रही है। वैसे तो दो फैक्ट्रियों में कटान चल रहा था पर फिलहाल एक फैक्ट्री में ही कटान चल रहा था जो लगभग बंद है। कारोबारी न वहां पशु लेकर आ रहे हैं और न ही यहां से मीट ले जाने वाले पहुंच रहे हैं।
मेरठ में पांच बड़ी फैक्ट्रियों में कटान होता है जिसका मीट निर्यात होता है। इन सभी में तीन से चार हजार पशु रोज काटे जाते हैं। शहर की आपूर्ति से अलग यह बड़ा कारोबार है जिससे लगभग पांच हजार लोग जुड़े हैं। इन सभी में यांत्रिक कमेले हैं। यहीं पर पैकेजिंग प्लांट भी हैं। यदि यह धंधा बंद हुआ तो इससे पांच हजार लोग प्रभावित होंगे। इन सभी की निगाह इसी पर लगी है।
इस बाबत कारोबारी कहते हैं कि मीट आपूर्ति भी एक वर्ग के लिए आवश्यक है। वैसे जो कटान वैध रूप से हो रहा है वह बंद क्यों होगा? निगम एक्ट में भी इसका प्रावधान है। जहां अवैध रूप से कारोबार हो रहा है उसे बंद कर दिया जाए। अवैध रूप से चल रहे कमेले ही बंद होंगे। जहां वैध रूप से कटान हो रहा है वह तो चालू रहेगा। यह तो एक्ट में भी प्रावधान है। इसे कैसे बंद किया जा सकता है। यह एक वर्ग केलिए न केवल अनिवार्य है बल्कि रोजगार का भी एक बड़ा माध्यम है- हाजी याकूब कुरैशी चेयरमैन अल फहीम मीटैक्स
इसमे किसी को डरने की जरूरत नहीं है। वैध रूप से चल रहा मीट कारोबार चलता ही रहेगा सरकार भी इसी तरह का निर्णय लेगी। वैध कारोबार को बंद नहीं किया जा सकता है। जो काम कहीं अवैध हो रहा होगा उसकी बात अलग है। यह तो रोजगार का भी मुद्दा है- हाजी शाहिद अखलाक, डायरेक्टर अल साकिब मीटैक्स
सरकार की मंशा भांपकर फैक्ट्रियों में तो शहर की मांस आपूर्ति के लिए पशुओं का कटान बंद हो गया, लेकिन गली मोहल्लों में चल रहे अवैध कमेलों से सोमवार को भी खून की धार बहती रही। यही कारण है कि शहर की 40 प्रतिशत दुकानों पर मांस की बिक्री की गई। पुलिस और अन्य विभागीय अधिकारियों ने कमेलों के खिलाफ कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं जुटाई।
गलियों में चलते हैं 100 से अधिक अवैध कमेले
शहर का एक बड़ा हिस्सा यानी मुस्लिम बाहुल्य इलाके जैसे कांच का पुल, लिसाड़ी गेट, इस्लामाबाद, जाकिर कालोनी, रशीद नगर, जलकोठी आदि इलाकों में 100 से अधिक अवैध कमेले चलते हैं। जिनसे महानगर में ही मांस की सप्लाई नहीं होती बल्कि एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों में भी मांस पहुंचता है। इतना ही नहीं देहात में भी मांस की सप्लाई होती है। यूपी में भाजपा सरकार के एजेंडे में कमेलों को बंद कराया जाना है। इसके बावजूद भी रविवार की रात्रि में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चल रहे 50 प्रतिशत अवैध कमेलों में पशुओं का कटान किया गया। अवैध कमेलों में काटे गए पशुओं का मांस शहर स्थित दुकानों पर फुटकर में बेचा गया। जो सीधे सीधे भाजपा सरकार के एजेंडे को मुंह चिड़ाता नजर आया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उप्र सरकार की मंशा के अनुरूप कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि वह भी अवैध कमेलों से परेशान हैं। पुलिस से रात्रि में भी शिकायत की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
60 प्रतिशत दुकानों पर लटका रहा ताला
महानगर में 500 से अधिक दुकानों पर मांस की बिक्री होती है। वह अलग बात है कि नगर निगम से 250 लाइसेंस ही प्राप्त हैं। जहां शहर में अवैध तरीके से पशुओं का कटान होता है वहीं बिक्री भी अवैध हो रही है। सोमवार को हापुड़ रोड स्थित एक्सपोर्ट की फेक्ट्रियों में शहर की मांस आपूर्ति के लिए पशुओं का कटान नहीं हो सका। जिसके कारण शहर की 60 प्रतिशत मांस की दुकानों पर ताला लटका रहा।
पूर्व पार्षद जाहिद अंसारी ने बताया कि सरकार में अगर दम है तो वह मांस का एक्सपोर्ट बंद करे। साथ ही अवैध कमेले भी बंद किए जाएं। शहर में मांस के शौकीन लोगों के लिए तो मांस की आपूर्ति कराने का दायित्व नगर निगम के पास है। शहर में मांस आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए।
पार्षद अरशद उल्ला ने बताया कि शहर की जनता के लिए मांस आपूर्ति को लेकर उप्र और निगम सरकार को विचार करना चाहिए। क्योंकि मांस खादय सामग्री है। इसकी आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए।
गलियों में चलते हैं 100 से अधिक अवैध कमेले
शहर का एक बड़ा हिस्सा यानी मुस्लिम बाहुल्य इलाके जैसे कांच का पुल, लिसाड़ी गेट, इस्लामाबाद, जाकिर कालोनी, रशीद नगर, जलकोठी आदि इलाकों में 100 से अधिक अवैध कमेले चलते हैं। जिनसे महानगर में ही मांस की सप्लाई नहीं होती बल्कि एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों में भी मांस पहुंचता है। इतना ही नहीं देहात में भी मांस की सप्लाई होती है। यूपी में भाजपा सरकार के एजेंडे में कमेलों को बंद कराया जाना है। इसके बावजूद भी रविवार की रात्रि में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चल रहे 50 प्रतिशत अवैध कमेलों में पशुओं का कटान किया गया। अवैध कमेलों में काटे गए पशुओं का मांस शहर स्थित दुकानों पर फुटकर में बेचा गया। जो सीधे सीधे भाजपा सरकार के एजेंडे को मुंह चिड़ाता नजर आया। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उप्र सरकार की मंशा के अनुरूप कोई कदम नहीं उठाया है। जबकि मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि वह भी अवैध कमेलों से परेशान हैं। पुलिस से रात्रि में भी शिकायत की थी, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
60 प्रतिशत दुकानों पर लटका रहा ताला
महानगर में 500 से अधिक दुकानों पर मांस की बिक्री होती है। वह अलग बात है कि नगर निगम से 250 लाइसेंस ही प्राप्त हैं। जहां शहर में अवैध तरीके से पशुओं का कटान होता है वहीं बिक्री भी अवैध हो रही है। सोमवार को हापुड़ रोड स्थित एक्सपोर्ट की फेक्ट्रियों में शहर की मांस आपूर्ति के लिए पशुओं का कटान नहीं हो सका। जिसके कारण शहर की 60 प्रतिशत मांस की दुकानों पर ताला लटका रहा।
पूर्व पार्षद जाहिद अंसारी ने बताया कि सरकार में अगर दम है तो वह मांस का एक्सपोर्ट बंद करे। साथ ही अवैध कमेले भी बंद किए जाएं। शहर में मांस के शौकीन लोगों के लिए तो मांस की आपूर्ति कराने का दायित्व नगर निगम के पास है। शहर में मांस आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए।
पार्षद अरशद उल्ला ने बताया कि शहर की जनता के लिए मांस आपूर्ति को लेकर उप्र और निगम सरकार को विचार करना चाहिए। क्योंकि मांस खादय सामग्री है। इसकी आपूर्ति की व्यवस्था होनी चाहिए।