गौर करने वाली बात यह है कि इस पीठ के पांचों सदस्य अलग-अलग धर्म के हैं। गौरतलब है कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए गर्मी की छुट्टियों में इस पर सुनवाई करने का निर्णय लिया गया है।
संविधान पीठ इस मसले के लेकर सात याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। साथ ही इस मामले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद भी संविधान पीठ की मदद करेंगे।
मालूम हो कि पिछले दिनों इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दाखिल कर केंद्र सरकार ने कहा था कि तीन तलाक, बहुविवाह आदि प्रथाएं धर्म का हिस्सा नहीं हैं। साथ ही सरकार ने यह भी कहा था कि यह प्रचलन महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा के खिलाफ है। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि इस मामले में न्यायालय को दखल नहीं देना चाहिए।