पुरुष अगर इमोशनल हो जाएं, तो लोग उनकी मर्दानगी पर सवाल उठाते हैं. कहते हैं, ‘लड़कियों’ की तरह रोता है. सैकड़ों सालों से हमें पौरुष के पाठ पढ़ाए जा रहे हैं. पुरुष तब भी युद्ध करते थे, आज भी युद्ध लड़ रहे हैं. तब भी उनका काम औरतों की ‘रक्षा’ करना था, आज भी वही है.
कहते हैं पुरुषों में एनिमल इंस्टिंक्ट होता है. जो उन्हें सेक्स के लिए उत्तेजित करता है. जो असली ‘मर्द’ होता है वो उसकी सेक्स क्षमता खूब होती है. उसके अंदर संवेदनाएं कम, ताकत अधिक होती है. और इन सब के बीच हम भूल जाते हैं कि पुरुष भी किसी औरत जितने ही संवेदनशील होते हैं और तकलीफें आने पर टूट सकते हैं. फीलिंग्स और उन्हें बयां करने की इच्छा इतनी ज्यादा होती है कि वे इसके लिए पैसे भी खर्च करने को तैयार होते हैं.