50 शहरों में कम-से-कम 62% अर्धनिर्मित आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हुई हैं जबकि ऐसे ही फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स का प्रतिशत थोड़ा ज्यादा 64% है। ये आंकड़े एक रियल एस्टेट रिसर्च फर्म की हालिया स्टडी में सामने आए हैं। फ्लैट बायर्स के हितों का संरक्षण करनेवाली संस्था ‘फाइट फॉर रेरा’ को रिसर्च फर्म लाइसेस फोरस के जुटाए आंकड़े हाथ लगे। इसके मुताबिक, करीब 30% अंडरकंस्ट्रक्शन अपार्टमेंट्स दो या इससे भी अधिक वर्षों से अटके पड़े हैं।
फाइट फॉर रेरा के प्रेजिडेंट अभय उपाध्याय ने कहा, ‘दो या ज्यादा वर्षों से अटके पड़े फ्लैट्स और घरों में भारी संख्या उनकी है जिनमें चार-पांच से भी ज्यादा वक्त से काम चल रहा है। रेरा का भी मकसद यह सुनिश्चित करना है कि नए प्रॉजेक्ट्स में लेट-लतीफी नहीं हो।’
केंद्र सरकार ने हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि अकेले महाराष्ट्र में 5.3 लाख अंडरकंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट्स अटके हैं और इनमें 20 प्रतिशत से ज्यादा प्रॉजेक्ट्स के पूरे होने में तीन साल से ज्यादा की देरी हो चुकी है। कोर्ट ने आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय को इसकी विस्तृत जानकारी और लंबित पड़ी परियोजनाओं की सही संख्या बताने का निर्देश दिया।