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खतों के जरिए बच्चों ने बनाया ‘बूंदी-कैलिफोर्निया’ के बीच दोस्ती का पुल

जयपुर। मेल और व्हाट्सएप के इस दौर में चिट्ठियां हमें भले बेमानी लगती हों, लेकिन सभी ऐसा नहीं सोचते। दरअसल, राजस्थान के बूंदी जिले के गांव बरूंधन के पांचवीं कक्षा तक के छात्रों ने चिट्ठियों के जरिए ही कैलिफोर्निया (अमेरिका) में अपने दोस्त बना लिए हैं। यह दोस्ती इतनी मजबूत है कि साल में चार बार चिट्ठियां आती-जाती हैं। इतना ही नहीं वहां से आर्थिक मदद भी आती है, जो सरकारी स्कूल के इन छात्रों के लिए सुविधाएं जुटाने के काम आती हैं।

कैलिफोर्निया की मदद की बदौलत ही इस बार स्कूल में छह लाख रुपए की लागत से शेड का निर्माण हो पाया है। इस दोस्ती का जरिया बनी हैं स्कूल की शिक्षिका शोभा कंवर। पिछले पांच साल से वह अपने प्रयासों से इस दोस्ती को मजबूत बनाए हुए हैं। उन्होंने बरूंधन के प्राथमिक स्कूल को देश का पहला पेन फ्रेंड सरकारी स्कूल बना दिया है। शोभा को इस दोस्ती को बनाए रखने के लिए अपने दम पर ही सारे प्रयास करने पड़ रहे हैं। वे खुद पैसा खर्च करती हैं, बच्चों की ओर से चिट्ठियां लिखती हैं। बच्चों की ओर से जवाब देती हैं और आर्थिक मदद का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करती हैं। स्कूल प्रबंधन और सरकारी अधिकारियों का हाल तो यह है कि स्कूल के शेड का अभी तक औपचारिक उद्घाटन भी नहीं कराया गया है।

शोभा बताती हैं कि, उनके भाई के एक दोस्त जैकब डिक्सन परिवार के साथ 2014 में यहां आए थे। जैकब के पिता डेविड डिक्सन कैलिफोर्निया के ओलिवयन पायोनियर स्कूल में प्राथमिक शिक्षा के शिक्षक हैं। यहां जैकब का परिवार शोभा के परिवार के साथ घूमा-फिरा और शोभा का स्कूल भी देखा। डेविड का परिवार उस समय तो लौट गया, लेकिन आठ महीने बाद डेविड ने एक ई-मेल भेजकर स्कूल के बच्चों को अपने स्कूल के बच्चों का पेन फ्रेंड बनाने का प्रस्ताव दिया। शोभा ने यह प्रस्ताव मान लिया और सिलसिला चल पड़ा। शोभा ने बताया कि डेविड के स्कूल में हर वर्ष सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है और उसकी आय का आधा हिस्सा वे हमारे बच्चों के लिए भेजते हैं। अभी हमारे 40 बच्चे उनके 40 बच्चों के पेन फ्रेंड हैं। हर साल करीब एक से डेढ़ लाख रुपए की मदद हमें मिलती है। पिछले दो साल से हम उनसे पैसा नहीं ले रहे थे। शोभा ने कहा-इस बार मैंने स्कूल में शेड बनाने की इच्छा जताई तो उन्होंने पिछले दो साल और इस वर्ष की राशि मिलाकर साढ़े पांच लाख रुपए हमें भेज दिए। पचास हजार रुपए मैंने अपने पास से लगाए और स्कूल में छह लाख रुपए में शेड बनकर तैयार हो गया। इस मदद के लिए हमने इस बार डेविड का जिलास्तर पर सम्मान भी कराया।