कानपुर। पिछले वर्षों में जिन प्रतिष्ठानों, कार्यालयों आदि पर आयकर विभाग ने छापे या सर्वे की कार्रवाई की है, तय मानिए कि वहां आयकर विभाग चालू वित्तीय वर्ष में स्क्रूटनी भी करेगा।
यह बात यूं ही नहीं कही जा रही। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2019-20 में किन आधार पर स्क्रूटनी की जाएगी, इसके दिशा-निर्देश आयकर विभाग ने जारी कर दिए हैं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने चालू वित्तीय वर्ष में स्क्रूटनी के लिए किस तरह करदाताओं का चयन होगा, इसके बिंदु तय कर जारी कर दिया है।
निर्देशों में यह भी साफ कहा गया है कि यदि सर्वे के समय किए गए सरेंडर को बाद में करदाता नकार देता है तो उसके यहां हर हाल में स्क्रूटनी की जाएगी। इसके साथ ही छापे के वर्ष को भी स्क्रूटनी के लिए चुना जाएगा।
पूर्व के वर्षों की आय में वृद्धि
पूर्व के वर्षों की आमदनी में वृद्धि को भी स्क्रूटनी का आधार बनाया गया है। देश के आठ शहर बेंगलुरु, चेन्नई, नई दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद में पिछले वर्ष से 25 लाख या उससे अधिक आय में वृद्धि होने पर उसे स्क्रूटनी का आधार माना जाएगा। वहीं अन्य शहरों में 10 लाख रुपये से अधिक की वृद्धि पर स्क्रूटनी के आदेश जारी किए गए हैं।
चेरिटेबल ट्रस्ट की स्क्रूटनी
चेरिटेबल ट्रस्ट की छूट की पात्रता विभाग ने यदि समाप्त कर दी है तो उसकी स्क्रूटनी की जाएगी। यदि छूट खत्म करने का आदेश अपील से निरस्त कर दिया गया हो या छूट बहाल कर दी गई हो तो उन मामलों को स्क्रूटनी में नहीं चुना जाएगा।
लिमिटेड स्क्रूटनी में जो सूचना प्राप्त होगी उसी की स्क्रूटनी होगी, लेकिन उससे पहले प्रधान आयकर आयुक्त या आयकर आयुक्त से इसकी अनुमति लेनी होगी।