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बरेली: सौहार्द की मिसाल बना सामूहिक विवाह, 520 कन्याओं के हाथ पीले

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बरेली। एक तरफ वैदिक मंत्रों की गूंज तो दूसरी ओर ‘कुबूल है’ की आवाज। सैकड़ों की तादाद में मौजूद जोड़ों के अलग-अलग रीति रिवाज से संपन्न हो रहा विवाह बरेली की गंगा जमुनी तहजीब में एक और नगीना जड़ रहा था। जोड़ों को आशीर्वाद देने के लिए श्रम मंत्री, राज्य मंत्री, मंडल भर के विधायकों समेत पुलिस और प्रशासन के आला अफसर भी मौजूद थे सभी ने नवदंपतियों को गृहस्थ जीवन में प्रवेश की शुभकामनाएं दीं और जरूरत पर सहयोग का वादा भी किया। मौका था योगी सरकार की श्रमिक पुत्री सामूहिक विवाह सहायता योजना के तहत 520 क न्याओं के सामूहिक विवाह का।

इसमें हिंदू रीति रिवाज से 462 और मुस्लिम पंरपरानुसार 59 श्रमिक कन्याओं का विवाह हुआ। करीब तीन महीने से चल रहीं तैयारियों के बाद सोमवार को सुबह से ही बरेली क्लब मैदान में वर और वधु पक्ष के लोग पहुंचने शुरू हो गए थे। दोपहर करीब 12 बजे से वैवाहिक आयोजन शुरू किया गया। त्रिवटीनाथ मंदिर सांग्वेद संस्कृत महाविद्यालय के बटुकों ने आचार्य पं. महेश चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विधि विधान से वैदिक रीति के अनुसार वैवाहिक आयोजन संपन्न कराए। बरेली के काजी अली अहमद और शाहजहांपुर के मुफ्ती मोहम्मद जौहर रजा ने निकाह पढ़ाया। एक ओर पवित्र अग्नि के सात फेरे लिए जा रहे थे तो दूसरी ओर निकाह कुबूल किया जा रहा था। इस दौरान श्रम मंत्री समेत अन्य जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने संयुक्त रूप से एक-एक जोड़े का परिचय प्राप्त किया और शुभकामनाएं दीं। बता दें कि पंडाल में 521 कन्याओं का विवाह किया जाना था लेकिन एक जोड़ा रास्ते में एक्सीडेंट होने से शामिल नहीं हो सका।

इस योजना का लाभ पाने के लिए श्रम विभाग को करीब 570 आवेदन प्राप्त हुए थे। सत्यापन में 521 कन्याएं पात्र मिलीं। इसमें बरेली की 255, पीलीभीत की 102, बदायूं की 81 और शाहजहांपुर में 53 कन्याएं शामिल हैं।

मैदान में भीड़ अधिक होने की आशंका के चलते सामूहिक विवाह में नवदंपति और उनके माता पिता समेत छह परिजन को ही प्रवेश मिला। लिहाजा सामूहिक विवाह के दौरान प्रति जोड़े के हिसाब से करीब चार हजार लोग मैदान में मौजूद रहे। खान पान की व्यवस्था श्रम विभाग की ओर से की गई थी।
आयोजन में प्लास्टिक की ‘नो एंट्री’
खान पान के लिए प्लेटें, पानी के डिस्पोजल समेत नवदंपतियों को दिए गए सामान आदि भी प्लास्टिक या पॉलीथिन से मुक्त रहा। श्रम परिवर्तन अधिकारी अनुपमा गौतम के मुताबिक भारी तादाद में लोगों की मौजूदगी के बाद भी लोगों को प्लास्टिक मुक्त आयोजन का संदेश देने का प्रयास किया गया।
ताकि श्रमिक का सम्मान बरकरार रहे

श्रम समन्वय एवं सेवायोजन विभाग के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि श्रमिकों को कन्याओं के विवाह के लिए खर्च आदि के लिए सूदखोरों से रुपया लेना पड़ता है। वहीं, रुपये अदा न करने पर उनका शोषण होता है। इसलिए योेगी सरकार ने उनका आत्मसम्मान बरकरार रखने के लिए यह योजना शुरू की है। इसके तहत जिन श्रमिकों ने नियमित अंशदान जमा किया है उनकी कन्याओं के विवाह के लिए 55 हजार और सामूहिक विवाह करेंगे तो उन्हें 65 हजार रुपये का तोहफा मिलेगा। वर और वधु के लिए अलग से 10 हजार रुपये कपड़े के लिए मिलेंगे। अंतर्जातीय विवाह पर 61 हजार रुपये की धनराशि दी जा रही है। उन्होंने मंच से वर और वधू को प्रमाण पत्र वितरित किये। राज्य मंत्री मनोहर लाल ने सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में मेयर समेत मीरगंज, फरीदपुर, भोजीपुरा, बिथरी चैनपुर, पीलीभीत विधायक समेत भाजपा जिलाध्यक्ष, डीएम, एसएसपी, सीडीओ, उप श्रमायुक्त अनुपमा गौतम, सहायक श्रमायुक्त महीप सिंह मौजूद रहे रहे।

श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठाएगी सरकार’
बरेली। उप्र सरकार ने श्रमिकों के बच्चों की इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है। साथ ही छात्रों को प्रति माह जेब खर्च भी देने का एलान किया है। सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पहुंचे प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया कि सरकार इंजीनियरिंग के छात्रों को प्रति माह 5 हजार रुपये और मेडिकल के छात्रों को प्रति माह 10 हजार रुपये देगी। इसी तरह श्रमिकों की बेटियों के विवाह के लिए सरकार 75 हजार रुपये दे रही है। पहली बेटी पैदा होने पर 25 हजार और 18 साल पूरे होने पर एक लाख रुपये दे रही है।