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हाईकोर्ट और इरडा के निर्देश के बावजूद कोविड के एक तिहाई बीमा दावे अटके, 10700 करोड़ के दावों का भुगतान नहीं हुआ

सिर्फ एक क्लिक पर बीमा क्लेम निपटाने का दावा करने वाली बीमा कंपनियां क्लेम देते समय बीमाधारकों को क्लेम देने में आनाकानी कर रही हैं। हाईकोर्ट और बीमा नियामक इरडा के निर्देश के बावजूद मौजूदा समय तक 10700 करोड़ के दावों का भुगतान नहीं हुआ है। यह कुल बीमा दावों की राशि का करीब एक तिहाई है। कोविड से जुड़े बीमा दावों की की कुल राशि करीब 29 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों में यह बात सामने आई है।

बीमा नियामक इरडा के हिदायत की परवाह किए बगैर बीमा कंपनियां और अस्पताल क्लेम की प्रक्रिया पूरी करने में काफी समय ले रहे हैं। इरडा ने बीमा कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिया हुआ है कि कोविड से जुड़े क्लेम का निपटान एक घंटे में कर दिया जाए। हालांकि, इसपर अमल करने की बजाय अस्पताल और बीमा कंपनियां इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने के साथ बीमाधारक को भी जिम्मेदार बता रहे हैं। इसकी वजह से करीब चार लाख कोविड से जुड़े बीमा दावों का निपटान नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं क्लेंम की रफ्तार बढ़ने के साथ बीमा कंपनियों ने एक तरफ निपटान की रफ्तार सुस्त कर दी वहीं क्लेम अस्वीकार (रिजेक्ट) करने की रफ्तार बढ़ा दी है।

घंटों मरीज को इंतजार करा रहे अस्पताल

कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए बीमा नियामक इरडा ने केवल एक घंटे में बीमा सेटलमेंट करने का निर्देश दिया हुआ है। इसके बावजूद बीमा कंपनियों को क्लेम सेटलमेंट करने में कई घंटे लग रहे हैं। कैशलेस बीमा सेटलमेंट की स्थिति में अस्पताल सेटलमेंट होने तक कई घंटे तक मरीज को इंतजार करवा रहे हैं। इसके लिए वह बीमा कंपनियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

दस्तावेज के नाम पर क्लेम रोक रहीं कंपनियां

सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की बीमा कंपनियों से कोविड से जुड़े बीमा सेटलमेंट को लेकर बीमाधारक परेशान हैं। बीमा नियामक इरडा कई बार हिदायत दे चुका है कि क्लेम जितना जल्दी हो उसका सेटलमेंट करें और बीमाधारक को बेवजह परेशान न करें। इसके बावजूद बीमा कंपनियां क्लेम सेटलमेंट करते समय कई तरह के दस्तावेज मांग रही हैं। इतना ही नहीं कई दस्तावेज दोबारा मांगे जा रहे हैं। इससे क्लेम सेटलमेंट में देरी हो रही है।

कोविड क्लेम में दोगुना वृद्धि

क्लेम सेटलमेंट में देरी को लेकर निजी क्षेत्र की बीमा कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इसकी कई वजहें हैं। उनका कहना है कि पिछले एक साल में कोविड क्लेम में दोगुना इजाफा हुआ है, जिससे इससे जुड़े क्लेम को तय समय में निपटाने में देरी हो रही है। साथ ही उनका यह भी कहना है कि बीमा कंपनियों की ओर से अस्पतालों को यह पहले ही बताया जा चुका है कि मरीज में सुधार की गति को देखते हुए डिस्चार्ज के 24 घंटे पहले ज्यादातर दस्तावेज वह बीमा कंपनी को भेज दें। बाकी दस्तावेज डिस्चार्ज के समय भेजें। इससे कम समय लगेगा, लेकिन कई अस्पताल ऐसा नहीं कर रहे हैं।

क्लेम रिजेक्ट करने में आगेबीमा कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में देरी को लेकर चाहे जितनी बहानेबाजी कर लें आंकड़ें, उनकी नियत पर सवाल खड़े करते हैं। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में 361 करोड़ रुपये का 41713 क्लेम रिजेक्ट हुआ। जबकि, चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से छह अगस्त तक 58,920 क्लेम बीमा कंपनियां रिजेक्ट कर चुकी हैं, जिनकी राशि 464 करोड़ रुपये है।