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चार साल में 8.23 करोड़ गरीबों का भोजन ऐसे हो गया बर्बाद

भोजन, उपभोक्ता मामलों और सार्वजनिक वितरण पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले चार वर्षों में लगभग 4,11,810 टन गेहूं और चावल एक जगह से दूसरी जगह ले जाने और चोरी के कारण बर्बाद हो गया। इतना खाद्यान्न 8.23 करोड़ लोगों के भोजन के बराबर है।

8 करोड़ 23 लाख लोगों का पेट भरा जा सकता था

इस महीने की शुरुआत में संसद में पेश समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में अक्तूबर 2020 तक खाद्यान्न के नुकसान से अनुमानित 1109.82 करोड़ का नुकसान हुआ है। समिति ने कहा कि अगर ठीक से वितरित की गईं हेाती तो सब्सिडी वाले इतने खाद्यान्नों से 8 करोड़ 23 लाख लोगों का पेट भरा जा सकता था। गौरतलब है कि केंद्र अपनी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत सब्सिडी दरों पर प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं-चावल वितरित करता है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘सरकार को आवागमन और भंडारण के नुकसान को कम करने और करदाताओं के पैसे बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए।’रिपोर्ट में देश के खाद्य भंडारण और पारगमन बुनियादी ढांचे की स्थिति के साथ-साथ विकेंद्रीकृत खरीद योजना (डीसीपी) पर भी टिप्पणी की गई है। डीसीपी के तहत, राज्य केंद्र की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण और वितरण स्वयं करते हैं। खरीद की विकेन्द्रीकृत प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि खरीद की गति बढ़ाने के लिए और गैर-पारंपरिक राज्यों में खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों को दिया जाए, जिससे स्थानीय किसानों को लाभ दिया जा सके। साथ ही इससे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने नुकसान और लागत को बचाया जा सकेगा।