गोरखपुर के छह गांव लापता हो गए हैं। इन गांवों के लापता होने की रिपोर्ट से हड़कंप मचा है। अब बिजली निगम के इंजीनियर इन गांवों की तलाश में लगे हैं। रिपोर्ट जर्जर-तार खंभे बदलने का ठेका लेने वाली कंपनी ‘स्तंभ पावर सिस्टम’ ने दी है।
जिले में इस वक्त जर्जर तार-खंभों को बदलने का काम चल रहा है। ‘स्तंभ पावर सिस्टम’ नामक लखनऊ की फर्म योजना में चयनित गांवों का सर्वे कर रही है। इस सर्वे में कंपनी को इन छह गांवों का कुछ पता नहीं चला। उसके बाद कंपनी ने इस बारे में चिट्ठी लिखकर योजना के नोडल अधिकारी को जानकारी दी। इसके बाद गांवों की गुमशुदगी को लेकर बिजली निगम में हंगामा मच गया।
नोडल अधिकारी ने पांच वितरण खंडों से आनन-फानन में इन छह गांवों के बारे में सूचना मांगी है। नोडल अधिकारी ने कहा है कि फर्म के भौतिक सत्यापन में यह गांव नहीं मिले है। आप सभी पता लगाएं, हो सकता है कि इन गांवों के नाम बदल गए हों। यदि इन गांवों का पता चले तो प्रधान व तीन-तीन उपभोक्ताओं के नाम मोबाइल नम्बर के साथ तत्काल उपलब्ध कराएं।
योजना में 962 गांवों का चयन
पावर कॉरपोरेशन ने गोरखपुर के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली वितरण नेटवर्क को दुरुस्त करने के लिए एक हजार से अधिक आबादी वाले 962 गांवों का चयन किया। इसके लिए एशियन डवलपमेंट बैंक से लोन लेकर जर्जर तार-खम्भे बदलकर ग्रामीणों को बेहतर बिजली मुहैया कराने की कवायद शुरू की गई है। कॉरपोरेशन ने इसके लिए लखनऊ की फर्म ‘स्तंभ पावर सिस्टम’ को जिम्मेदारी सौंपी है। फर्म विभिन्न ब्लाकों में सर्वे कर जर्जर तार-खम्भों को चिह्नित कर रही है। यह काम 128 करोड़ रुपये से होने हैं। कार्यदायी फर्म की सर्वे टीम ने सर्वे कर रिपोर्ट नोडल अधिकारी को दी। इसके साथ ही फर्म ने पत्र लिखकर नोडल अधिकारी को बताया है कि एक हजार से अधिक आबादी वाले छह गांव नहीं मिल रहे है। यह गांव स्थलीय सत्यापन में नहीं मिले। ऐसे में इन गांवों का पता लगाकर बताएं ताकि सर्वे का काम पूरा हो सके।
इन ब्लाकों के ये गांव लापता
ब्लाक गांव
बांसगांव अमरैना, चिहरी उर्फ का काछी
बेलघाट बढ़या डण्ड
कैम्पियरगंज जंगल बिहुली मौजा शंकर चौराहा
गोला उत्सीया
कौड़ीराम ढेलाहारा
बोले एसई
स्तंभ पावर सिस्टम ने पत्र लिखकर एक हजार से अधिक आबादी वाले छह गांवों के नहीं मिलने की जानकारी दी है। ये गांव कंपनी को सर्वे के दौरान नहीं मिले है। उसकी सूचना पर पांच वितरण खण्डों को पत्र लिखकर गांवों का पता लगाने को कहा गया है। सभी खण्डों के अभियंता अपने-अपने क्षेत्र में गांवों की जानकारी एकत्र करने में जुटे हैं।