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इन जिलों पर मंडराया बाढ़ का खतरा, दो दिन की बारिश से बढ़ा कोसी का जलस्तर, खतरे के निशान से ऊपर बह रही है महानंदा

पिछले दो दिनों से हो रही बारिश के कारण कुछ जिले में कोसी नदी का जलस्तर बढ़ा है। इसके अलावा अन्य नदियों का जलस्तर स्थिर है। सुपौल जिले में पिछले दो दिनों की बारिश से कोसी नदी में पानी का डिस्चार्ज बढ़ा है। हालांकि इसे सामान्य माना जा रहा है। शुक्रवार शाम पांच बजे बराज पर कोसी नदी में पानी का डिस्चार्ज 2 लाख 13 हजार क्यूसेक दर्ज किया गया। 

वहीं नेपाल में हुई भारी बारिश से तिलयुगा और खड़क नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है। निर्मली अनुमंडल से गुजरने वाली इन दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण लगभग 200 एकड़ खेत में पानी फैल जाने से धान की फसल डूब गई है। कुछ जगहों पर सड़क पर पानी बह रहा है जिससे लोगों को आने जाने में परेशानी हो रही है। सहरसा जिले में कोसी का जलस्तर सामान्य है।

हालांकि पूर्वी तटबंध के 98 किलोमीटर पर कटाव तेज है। मधेपुरा में दो दिनों से हो रही बारिश के कारण शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जलजमाव की स्थिति है। कोसी का जलस्तर धीरे- धीरे कम हो रहा है। खगड़िया में गंगा, गंडक व कोसी नदी के जलस्तर में कमी लगातार जारी हैं। वहीं बागमती नदी अभी स्थिर है। 

गंगा खतरे के निशान से मात्र 0.23 मीटर ऊपर है। पिछले 24 घंटे में गंगा के जलस्तर में 15 सेंटीमीटर तो बूढ़ी गंडक के जलस्तर में 25 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। जलस्तर घटने से बाढ़ पीड़ितों को राहत है। मुंगेर जिले में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 1.2 मीटर नीचे आ चुका है। 

अररिया जिले में बारिश होने और नेपाल से पानी आने के बाद बुधवार की देर रात से ही सिकटी प्रखंड होकर बहने वाली नूना नदी उफना गई। इसके कारण  निचले इलाके के करीब आधा दर्जन गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है। इस साल 12वीं बार नूना का पानी पड़रिया पंचायत के आधा दर्जन गांव व टोले में प्रवेश किया है। पड़रिया, शालगोड़ी, कचना, कठुआ, बांसबाड़ी व बगुलाडांगी के ग्रामीण परेशान हैं।  कटिहार में महानंदा नदी के जलस्तर फिर बढ़ने लगा है। वहीं गंगा, कोसी, बरंडी और कारी कोसी नदी के जलस्तर में घटने का सिलसिला जारी रहा। जलस्तर में कमी होने के बाद प्रभावित लोगों ने राहत की सांस ली है। किशनगंज जिले की कनकई और बूढ़ी कनकई नदी दिघलबैंक में कटाव कर रही है। बाकी ब्लॉक में नदियों का जलस्तर समान्य है, जबकि पूर्णिया में बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में फिर वृद्धि होने लगी है। महानंदा खतरे के निशान से ऊपर है।