बिहार में पंचायत चुनाव के दौरान छह पदों में से किसी भी पद के प्रत्याशी अपने निर्वाचन क्षेत्र में स्थित किसी भी सरकारी या अर्द्ध सरकारी भवनों का चुनाव प्रचार में इस्तेमाल नहीं करेंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने सरकारी या अर्द्ध-सरकारी भवनों के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किए जाने, वहां किसी प्रकार का जलसा या सभा आयोजित करने व बैठक करने पर रोक लगा दी है। आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार अगर कोई प्रत्याशी ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इसे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया जाएगा।
किसी भी सरकारी या अर्द्ध-सरकारी भवनों पर किसी भी प्रत्याशी द्वारा झंडा, बैनर-पोस्टर इत्यादि भी नहीं लगाया जाएगा। इसे भी आदर्श आचार संहिता के दायरे में लाया गया है और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है। आयोग ने पंचायत चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के लिए सामान्य आचरण का निर्धारण किया है। इनके अनुसार किसी भी उम्मीदवार को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे किसी धर्म, संप्रदाय या जाति के लोगों की भावना को ठेस पहुंचे या उनमें विद्वेष या तनाव पैदा हो। वोट प्राप्त करने के लिए धार्मिक, सांप्रदायिक, जातीय या भाषायी भावनाओं का सहारा नहीं लिया जाना चाहिए।
उपासना के किसी स्थल, यथा मंदिर, मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए। किसी उम्मीदवार के व्यक्तिगत जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना नहीं की जानी चाहिए, जिनका संबंध उसके सार्वजनिक जीवन या क्रियाकलापों से न हो और न ही ऐसे आरोप लगाये जाने चाहिए, जिनकी सत्यता स्थापित न हुई हो। आयोग के अनुसार किसी प्रत्याशी की आलोचना उसकी नीति और कार्यक्रम, पूर्व इतिहास और कार्य तक ही सीमित रहनी चाहिए तथा उसके और उसके कार्यकर्ताओं की आलोचना असत्यापित आरोपों पर आधारित नहीं की जानी चाहिए।