Friday , December 20 2024

कहां जा रही पेट्रोल-डीजल और एलपीजी से मोदी सरकार की कमाई? सरकार ने कहा- फ्री राशन, उज्ज्वला, गरीब कल्याण, आयुष्मान भारत योजना में लगाई

पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की महंगाई पर कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने हो गए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार ने तेल की कीमत बढ़ाकर आम आदमी को सीधे चोट पहुंचाई है। राहुल ने कहा कि सरकार कहती है GDP यानी गैस, डीजल पेट्रोल से सरकार ने पिछले 7 साल में 23 लाख करोड़ रुपए की कमाई की है। उन्होंने पूछा ये पैसे कहां गए? बता दें मोदी सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को पिछले साल 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया। 

कुछ दिन पहले संसद में पूछे गए सवाल पर सरकार की तरफ से दिए गए जवाब में कहा गया कि पेट्रोल-डीजल पर मिलने वाले टैक्स का पैसा विकास की योजनाओं पर पैसा खर्च किया जा रहा है। उज्ज्वला, गरीब कल्याण योजना, आयुष्मान भारत, फ्री राशन जैसी योजनाओं के जरिए सरकार पैसा खर्च कर रही है। 

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्यों ने भी भरा खजाना

बता दें संसद में अपने लिखित जवाब में केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने कहा था कि 31 मार्च 2021 के वित्तीय वर्ष तक केन्द्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी के जरिए पेट्रोल पर 1,01,598 करोड़ रुपये और डीजल पर 2,33,296 करोड़ रुपये की कमाई की है। 2020-21 में राजस्थान सरकार की कमाई पिछ्ले वित्तीय वर्ष के मुकाबले  15,199 करोड़ रुपये हो गई है, इसमें 1800 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। मध्य प्रदेश सरकार ने 1188 करोड़ रुपये की अधिक कमाई की है, सरकार पेट्रोल और डीजल के जरिए 11,908 करोड़ रुपये की कमाई पिछले वित्त वर्ष में की है। 

किस राज्य में कितना टैक्स

मध्यप्रदेश सरकार पेट्रोल पर सबसे अधिक 31.55 रुपये टैक्स वसूल रही है। जबकि, राजस्थान सरकार डीजल पर देश में सबसे अधिक 21.82 रुपये टैक्स के जरिए कमा रही है। वहीं, पेट्रोल पर राजस्थान सरकार 29.88 रुपये और महाराष्ट्र सरकार 29.55 रुपये टैक्स के जरिए प्रति लीटर कमाई करती है। डीजल से आन्ध्र प्रदेश सरकार 21.78 रुपये प्रति लीटर, मध्यप्रदेश 21.68 रुपये, उड़ीसा 20.93 और महाराष्ट्र 20.85 रुपये प्रति लीटर टैक्स के जरिए कमाई करता है। 

महंगाई के पीछे संप्रग सरकार की नीति

इससे पहले पेट्रोल-डीजल और घरेलू एलपीजी के महंगा होने के पीछे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण  कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को जिम्मेदार ठहरा चुकी हैं।  उन्होंने कुछ दिन पहले कहा था कि तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिए कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे। उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डालर प्रति बैरल से ऊपर निकल गये थे।  ये तेल बॉन्ड अब परिपक्व हो रहे हैं। सरकार इन बॉन्ड पर ब्याज का भुगतान भी कर रही है। तेल बॉन्ड की वजह से सस्ता नहीं हो रहा ईंधन
    
सीतारमण के मुताबिक पिछले सात सालों के दौरान तेल बॉन्ड पर कुल मिलाकर 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया गया है। 1.34 लाख करोड़ रुपये के जारी तेल बॉन्ड पर केवल 3,500 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान हुआ है और शेष 1.30 लाख करोड़ रुपये का भुगतान इस वित्त वर्ष से लेकर 2025-26 तक किया जाना है।  सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ तथा 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।  उन्होंने कहा, वर्ष 2014-15 में बकाया राशि 1.34 लाख करोड़ रुपये थे और ब्याज का 10,255 करोड़ रुपये का भुगतान होना था। वर्ष 2015-16 से हर साल का ब्याज भुगतान 9,989 करोड़ रुपये का है। 

जीएसटी ही एक मात्र उपाय

खुदरा बाजार में पेट्रोल, डीजल के दाम भी आसमान छूरहे हैं। आधे से ज्यादा देश में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर से ऊपर पहुंच गए वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश और ओडिशा में डीजल भी 100 रुपये लीटर से ऊपर निकल गया।  सीतारमण ने कहा कि केन्द्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने का विकल्प खुला रखा है। ‘जब कभी राज्य इसके लिये तैयार होंगे, इसे जीएसटी के तहत ला दिया जायेगा। माना जा रहा है कि जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोलियम पदार्थों पर कर का बोझ कुछ कम होगा और कर के ऊपर कर लगने से बचा जा सकेगा।