बगैर निबंधन और इंश्योरेंस के सरकारी या गैर सरकारी वाहन सड़क पर नहीं चल सकते हैं। ऐसे वाहन चलाने वालों पर मोटर वाहन कानून की धारा 192 के तहत कार्रवाई कर सजा दी जाए। उनके खिलाफ जुर्माना लगाएं। कानून की नजर में सभी एक समान हैं। सरकारी हो या गैर सरकारी सभी पर एक कानून लागू होता है।
निगम के ऐसे अधिकारी पर चार माह के अंदर कार्रवाई करें जिन्होंने बिना निबंधन गाड़ी चलाने का आदेश दिया है। बगैर निबंधन के नगर निगम के करीब 925 कचरा ढोने वाले वाहन सड़क पर दौड़ने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी भी की। इस मामले में अधिवक्ता निर्भय प्रशांत की ओर से दायर लोकहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति संजय करोल तथा न्यायामूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने 22 पन्ने का आदेश जारी किया है।
जुर्माना की राशि अधिकारी से वसूलें
हाईकोर्ट ने शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया कि चार महीने के भीतर निगम के करीब 925 वाहनों को सड़क पर चलाने का आदेश देने वाले अधिकारी और कर्मचारी को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। चार महीने के भीतर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई पूरी करें। साथ ही सरकार द्वारा गठित कोष में बतौर जुर्माना पांच लाख रुपये जमा करें। विभाग को यह पूरी छूट दी गई है कि जुर्माने की राशि दोषी अधिकारी और कर्मचारी से वसूल करें।
गठित हो चुकी है समिति
शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव ने कोर्ट को बताया कि संयुक्त सचिव सह सहायक निदेशक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। समिति को यह देखना था कि निगम के किस अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही से बगैर निबंधन और इंश्योरेंस के वाहन सड़क पर चल रहे हैं। समिति ने नगर आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था।
डीटीओ में दो करोड़ जमा करा चुका है निगम
पटना के डीएम, नगर निगम तथा डीटीओ ने मोटर वाहन कानून के तहत कोर्ट को बताया था कि मोटर वाहन कानून के तहत कोई भी वाहन सड़क पर बगैर निबंधन व इंश्योरेंस के नहीं चल सकता है। जिसके बाद डीटीओ ने निगम को पत्र जारी किया, जिसपर नगर निगम ने करीब 2.01 करोड़ रुपये का टैक्स तथा निबंधन फीस के रूप में जमा कराया था। वहीं पटना नगर निगम के नगर आयुक्त ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया था कि वर्ष 2019 के मई-जून महीने में ही सभी वाहनों का इंश्योरेंस करा लिया गया है।