राज्य सरकार का इकलौता कृषि विश्वविद्यालय, सबौर विवादों में घिर गया है। कभी ई- गर्वनेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले इस विश्वविद्यालय के हाल के निर्णयों पर कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं। कुलपति की नियुक्ति पर पीआईएल दायर होने के बाद स्वेच्छाचारिता और धोखाधड़ी का आरोप सामने आया है।
इसके साथ ही प्रबंध बोर्ड की 32वीं बैठक में उपस्थित आईसीएआर के प्रतिनिधि को अनुपस्थित दिखाने और नियम को ताक पर रख कर कई फैसले लेने का भी मामला है। खास बात यह है कि बार-बार मांगने पर भी कृषि विभाग को कार्यवाही की प्रति नहीं भेजी गई।
यहां तक कि वित्त विभाग के प्रतिनिधि की बातों को अपने अनुकूल बनाकर प्रस्तुत किया गया। वित्त विभाग की आपत्ति के बाद अब कृषि विभाग ने विश्वविद्यालय के कुलपति से कई बिंदुओं पर जवाब-तलब किया है। साथ ही इसकी जानकारी राजभवन को भी दी है।
कृषि विभाग के विशेष सचिव विजय कुमार ने प्रभारी कुलपति अरुण कुमार से बताने को कहा है कि एजेंडा तय करने में विभाग के चेकलिस्ट का उपयोग क्यों नहीं किया गया। इसके अलावा बैठक की कार्यवाही विभाग को क्यों नहीं भेजी गई। प्रबंध बोर्ड की बैठक में आईसीएआर के सहायक महानिदेशक और बोर्ड के सदस्य पीएस पांडेय के मंतव्य को कार्यवाही में क्यों नहीं शामिल किया गया।
विभाग ने इस पत्र की प्रति राजभवन को भी दी है। साथ ही कहा है कि उक्त लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी की भी जानकारी सात दिनों में दी जाए। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रबंध बोर्ड की 32वीं बैठक 30 जुलाई को ही हुई थी। बैठक में आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के प्रतिनिधि श्री पांडेय ने वर्चुअली भाग लिया।
उन्होंने कई एजेंडे पर असहमति जताई, लेकिन उनके प्रखर विरोध के कारण बोर्ड की बैठक की कार्यवाही से उनका नाम ही हटा दिया गया। इसके साथ ही वित्त विभाग के प्रतिनिधि की टिप्पणी को भी अनुपाल प्रतिवेदन की कंडिका में अंकित कर दिया गया।