पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल की जयंती पर 25 सितंबर को हरियाणा के जिंद में बड़ी रैली होने जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला इस रैली के जरिये तीसरे मोर्चे की मुहिम में जुटे हैं। चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) का दावा है कि इस रैली में बिहार के मुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, शरद पवार और पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल सहित देश के कई दिग्गज नेता भाग लेंगे।नीतीश के शामिल होने के दावे के बाद से दिल्ली से लेकर पटना तक हलचल मची हुई है। इस बारे में पूछने पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने गुरुवार को कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि रैली में शामिल होने के लिए नीतीश कुमार ने अपनी मंजूरी दे दी या नहीं। ललन ने कहा कि यह पार्टी का मामला नहीं है।
हो सकता है कि मुख्यमंत्री होने के नाते नीतीश कुमार को निमंत्रण दिया गया है, इसलिए कोई भी फैसला खुद नीतीश ही लेंगे। ललन ने इस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया कि एनडीए का सहयोगी होने के कारण क्या नीतीश को इस तरह की रैली में भाग लेना चाहिए, जहां भाजपा विरोधी देवगौड़ा, मुलायम सिंह यादव और प्रकाश सिंह बादल जैसे नेता आ रहे हैं। पिछले दिनों चौटाला और नीतीश कुमार की बैठक के बाद भी हलचल मची थी। तब नीतीश ने चर्चाओं को दरकिनार करते हुए हरियाण के पूर्व सीएम से व्यक्तगत संबंध होने के कारण मुलाकात की बात कही थी। गौरतलब है कि चौटाला और उनकी पार्टी इनेलो हरियाणा में भाजपा की विरोधी है। हालांकि उनके भतीजे दुष्यंत और उनकी पार्टी जननायक जनता दल भगवा कैंप में शामिल हैं। अगर बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी जदयू के नेता नीतीश कुमार की रैली में उपस्थिति होती है तो यह एनडीए को बड़ा झटका होगा।
हालांकि नीतीश कुमार ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बिहार में एनडीए नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर वह रैली में शामिल होते हैं तो इसे दबाव की रणनीति के रूप में देखा जाएगा। उन्हें कैबिनेट विस्तार के समय भी कमतर ही आंका गया था। शिवसेना और सिरोमनी अकाली दल जैसे प्रमुख सहयोगियों के एनडीए से बाहर होने के बाद नीतीश कुमार को जद-यू के लिए सम्मानजनक हिस्सेदारी की उम्मीद थी। नीतीश की पार्टी केंद्र की सत्ता में बिना साझेदारी ही 2017 से सरकार को समर्थन दे रही है। फिलहाल जदयू के केवल एक सांसद पूर्व अध्यक्ष आरसीपी को मोदी कैबिनेट में मंत्री बनाया गया है। 2019 में भी एक पद देने के प्रस्ताव को नीतीश कुमार ने यह कहकर ठुकरा दिया था कि वह टोकन प्रतिनिधित्व नहीं चाहते हैं। इसके बाद भी उन्होंने एक मंत्री के प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। भाजपा नेताओं का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू की बिहार में हुई दुर्गती से नीतीश कुमार पूरी तरह से अवेयर हैं।