सतीश पांडेय रायपुर : राजधानी रायपुर में नगर निगम लगातार नॉन वोवन प्रतिबंधित कैरी बैग, थैली पर कार्रवाई करने का दावा करता है, लेकिन जुर्माना वसूल कर निगम का स्वास्थ्य अमला भूल जाता है। सामग्री बेचने के लिए प्लास्टिक कैरी बैग देने पर 100 रुपये रुपये, दोबारा पकड़ने जाने पर 1000 रुपये, सड़क, नाली में प्लास्टिक फेंकने पर 100 रुपये और दोबारा पकड़े जाने पर 1,000 रुपये वसूलने का प्रविधान है।
अकेले रायपुर में हर महीने करीब 50 हजार किलो का प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। तमाम कोशिशों के बावजूद निगम प्लास्टिक को चलन से बाहर नहीं कर पा रहा है, क्योंकि उसे केवल प्लास्टिक जब्त करने का ही अधिकार है। वह केवल प्रतिबंध लगाकर इसको रोक सकता है। प्लास्टिक पर जुर्माने की कार्रवाइयां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्राधिकार में हैं। जब्ती के बाद प्लास्टिक पर परिवारवाद के प्रकरण बनाए जाते हैं, यानी निगम केवल जब्ती बनाकर इसे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को सौंपता है। यह नियम ही शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने में बाधा बन रहा है।
सफाई से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को मौके पर पहुंचकर जुर्माना करना शुरू करना चाहिए। जब्ती के बाद होने वाली कार्रवाई में भी तेजी लानी होगी। अभी शहर में प्रतिबंधित जगहों में कचरा फैलाने के लिए ही निगम कार्रवाई करता है। केवल इसके लिए ही वह जुर्माना वसूलता है।
हमेशा सब्जी, ठेले वाले होते हैं निशाने पर
सब्जी बेचने वाले, चाय के ठेले रोजाना कमाकर खाने वालों पर निगम की टीम कार्रवाई की खानापूर्ति करके अभियान को खत्म कर देती है, परंतु जो लोग प्रतिबंधित प्लास्टिक का उत्पाद कर रहे हैं और बाजारों में खुलेआम बेच रहे हैं, उन पर अभी तक कोई तगड़ी कार्रवाई नहीं की गई है।
… और भर गया था इनडोर स्टेडियम
रायपुर नगर निगम आयुक्त रह चुके आइएएस अवनीश शरण के कार्यकाल में पहली बार निगम ने बड़े पैमाने पर छापामार कार्रवाई कर भारी मात्रा में प्रतिबंधित प्लास्टिक के बैग, किराना पन्नाी आदि जब्त किया था। जब्त प्लास्टिक इतनी अधिक मात्रा में थी कि इनडोर स्टेडियम पूरा भर गया था। दो साल पहले 40 से ज्यादा प्रकरण निगम ने बनाया था और चार फैक्ट्रियों में तालाबंदी की थी। उसके बाद से अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।
हर साल सात लाख रुपये से अधिक का जुर्माना
शहर में सार्वजनिक जगहों पर कचरा फैलाने के मामले में हर साल करीब साढ़े सात लाख रुपये का जुर्माना वसूला जाता है। इसमें प्लास्टिक कचरा भी शामिल रहता है। निगम के सफाई अधिकारी प्लास्टिक पर अलग से जुर्माना नहीं करते हैं। दो साल पहले तक यहां-वहां कचरा फैलाने के करीब ग्यारह सौ मामले दर्ज किए गए थे।
ठेका कंपनी बेच रही प्लास्टिक वेस्ट
प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेस के लिए भी ठेका कंपनी ने कोई सेटअप नहीं बनाया है। फिलहाल ठेका कंपनी एक दो महीने के अंतराल में प्लास्टिक वेस्ट को मिक्स रूप में बेच देती है। दो साल पहले ठेका कंपनी ने करीब छह लाख रुपये का प्लास्टिक कचरा बेचा था, जिसका वजन सवा लाख किलो करीब था।
प्रथम अपराध
सब्जी ठेला-500
दुकानदार-25,000
निर्माणकर्ता-100000
द्वितीय अपराध
सब्जी ठेला- 1000
दुकानदार-50,000
निर्माणकर्ता-2,00000
इसके बाद के अपराध
जुर्माने की राशि दोगुनी तथा गैर जमानती अपराध की श्रेणी में कम से कम तीन महीने से तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।
फैक्ट फाइल
वर्ष प्रकरण जुर्माना
2017-18 13,017 सात लाख 43 हजार
2018-19 13,015 सात लाख 51 हजार
2019-20 11,113 दो लाख तीन हजार
एक्सपर्ट व्यू
प्रतिबंधित प्लास्टिक को लेकर रायपुर में सक्रिय अधिवक्ता मनीष प्रधान का कहना है कि सरकार, एजेंसियां पर्यावरणीय कानूनों के प्रति अपने कर्तव्य को पूरा न करने के लिए वित्तीय या कर्मचारियों की कमी का बहाना बताकर नहीं बच सकती हैैं। प्रदूषण द्वारा अदायगी का सिद्धांत पर्यावरणीय कानून का एक महत्वपूर्ण पहलू है। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। सरकार को सख्ती के साथ प्रतिबंधित प्लास्टिक को बाहर करना ही होगा।
वर्जन-
शहर को प्लास्टिक फ्री बनाने के लिए इस बार बड़ा अभियान चलाने जोन कमिश्नरों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। नईदुनिया का यह मुद्दा रंग लाएगा। प्रतिबंधित प्लास्टिक की जब्ती में तेजी लाएंगे।
-प्रभात मलिक, कमिश्नर, नगर निगम, रायपुर
इनका कहना है
आज पॉलीथिन शहर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की समस्या बन चुकी है और लोगों में इसकी पर्याप्त जागरूकता भी है, पर हम अपनी आदतों से इतने मजबूर हैं कि न चाहते हुए भी पॉलीथिन को यह समझ कर उपयोग कर लेते हैं कि एक मेरे उपयोग करने से क्या होगा, यह बात हम पिछले पांच वर्षों से समझ चुके थे कि हमें बोंजेलो के किसी भी स्टोर में ग्राहकों को पॉलीथिन नहीं देनी है, आज बोंजेलो रायपुर में बिस्कुट और केक का पर्याय बन चुका है और यहां आने वाला हर ग्राहक यह जानता है कि इस स्टोर में हमेशा बायो डी ग्रेडेबल पॉलीथिन में ही सामान मिलेगा, जो कि पर्यावरण के लिए बेहतर है।
-विजय गुरुबक्षाणी, डायरेक्टर, बोंजेलो बिस्किट रायपुर
स्वच्छ पर्यावरण में जीने का अधिकार हमारे मौलिक अधिकारों में से एक है, अधिकारियों से विनती है कि वे स्वयं अपने कर्तव्यों का पालन करें और प्रतिबंधित प्लास्टिक वस्तुओं के खिलाफ और बेचने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त जल्दी कार्रवाई शुरू करें। भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में भी प्रदूषण रहित पर्यावरण में जीने के अधिकार को शामिल किया गया है।
– सविता अग्रवाल, गृहिणी, फाफाडीह
21 सालों से हमारे संस्थान में सबके अच्छे स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है। हम अपने ग्राहकों को बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग में खाने की वस्तु डालकर देते हैं। त्योहारी सीजन में नए-नए प्रयोग से संस्था को पहचान मिली है। आम जनता से अपील है कि प्रतिबंधित कैरी बैग का उपयोग न करे।
-राजेश सिंघल, संचालक-राजघराना रेस्टोरेंट, स्वीट्स एंड बेकर्स पंडरी बस स्टैंड
प्रतिबंधित प्लास्टिक का इस्तेमाल करना पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।सरकार को तत्काल सख्ती के साथ कार्रवाई कर उत्पादन करने वाले फैक्ट्रियों में तालाबंदी करनी चाहिए। जनता को बायोडिग्रेडेबल कैरी बैग का इस्तेमाल के लिए जागरूक करने की जरूरत है। इसके निर्माण को सरकार को खुद बढ़ावा देना चाहिए, तभी प्रतिबंधित प्लास्टिक पूरी तरह से बाजार से गायब हो पाएगा।
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