पढ़ने का जुनून ऐसी की स्टेशन व रेलवे ट्रैक पर फेंके हुए पानी की बोतले बेचकर नशा करने वाले 1 दर्जन से अधिक बच्चे अब जंक्शन पर शिक्षित हो रहे हैं। उनमें पढाई करने का जुनून बढ़ता ही जा रहा है। दरअसल, जंक्शन और ट्रेनों में यात्रियों द्वारा फेंके व छोड़े गए पानी की बोतलों को बेचकर जो बच्चे सारा दिन नशा पान करते थे, अब वही बच्चे नशा छोड़ पढ़ने के लिए ततपरता दिखा रहे है।
नशा करते थे पहले बच्चे
रेलवे चाइल्ड लाइन की ओर से बच्चो को सिलेट, कलम, पेंसिल भी दिया गया है। वहीं, कई ऐसे भी बच्चे है जो पढ़ाई में लेट होने पर चाइल्ड लाइन के पास पहुंच जाते है। महिला और पुरुष कर्मचारी किताब लेकर बच्चों के साथ प्लेटफॉर्म संख्या 7-8 की ओर बढ़ जाते है। रेलवे चाइल्ड लाइन की ओर से रोजाना शाम में पाठशाला लगता है। कर्मचारी रोजाना बच्चों को पढ़ाते है। रोजाना 1 दर्जन से अधिक बच्चें शिक्षक से पढ़ने व सीखने आते है। यह वह बच्चें है जो कम उम्र में ही नशे के आदि हो चुके थे। पूरा दिन उनका समय बोतल चुनने व बेचने में बितता था। फिर, कहीं पर जाकर नशा करते थे।
बच्चे भी दिखा रहे हैं दिलचस्पी
स्थानीय रेल अधिकारियों से बैठक किया था। इसमें बच्चों को शिक्षित करने का जिम्मा रेलवे चाइल्ड लाइन ने लिया था। मामले में केंद्र समन्यवक अनिल कुमार ने कहा कि फिलहाल 12 बच्चें रेगुलर पढ़ाई कर रहे है। अब उनमें पढ़ाई की ललक है। वे नशापान छोड़ चुके है। बताया गया कि रेलवे चाइल्ड लाइन कई बार बच्चों को पढ़ाने के लिए जगह की मांग कर चुके है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर पहल भी किया जा रहा है। अनिल कुमार ने कहा कि पढ़ने के लिए जगह मिल जाता तो और ध्यान से पढ़ाया जा सकता है। बच्चें दिल्चस्पी दिखा रहे हैं तो अवसर है उन्हें शिक्षित करने का।