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पटना यूनिवर्सिटी में बिहार बोर्ड के छात्रों का एडमिशन हुआ मुश्किल? पहली लिस्‍ट जारी होते ही छात्र संगठनों ने की ये मांग

पटना विश्वविद्यालय में बीए, बीएससी, बीकॉम सहित तमाम वोकेशनल कोर्सों में नामांकन के लिए पहला कटऑफ जारी कर दिया गया है। पहले कटऑफ के अनुसार अलग-अलग कोर्सों में सीबीएसई के छात्रों की संख्या अधिक है। वहीं, बिहार बोर्ड के छात्रों की संख्या कम है। मिली जानकारी के अनुसार जारी किए गए कटऑफ में चार हजार सीटों में लगभग 2500 छात्र सीबीसीई के हैं। पहले सूची के आधार पर जिन छात्रों का नाम आया है उनकी प्रथम काउंसलिंग जो मंगलवार से शुरू होकर 18 सितम्बर तक चलेगा। काउंसलिंग चार कॉलेजों में होगा। सभी के समय निर्धारित कर दिया गया है।

छात्र संगठनों का नामांकन प्रक्रिया रोकने की मांग

पीयू छात्रसंघ और सभी छात्र संगठनों ने पटना विवि में मंगलवार से चलने वाले नामांकन प्रक्रिया को बंद करने की मांग की है। छात्रों का प्रतिनिधि मंडल सोमवार की शाम कुलपति से मिलकर ज्ञापन सौंपा। इसमें बिहार बोर्ड के छात्रों के लिए कम से कम 50 प्रतिशत सीटें सुरक्षित करने की मांग की। इसका प्रस्ताव सरकार के पास भेजने की मांग को रखा।

पीयू छात्रसंघ अध्यक्ष मनीष यादव ने कहा कि विवि ने जो नामांकन के लिए चार हजार छात्रों की प्रथम लिस्ट जारी किया है उसमें सबसे ज्यादा सीबीएसई के बच्चे हैं। अगर पीयू में नामांकन अंक के आधार पर होगा तब बिहार बोर्ड के ग्रामीण बच्चे पिछड़ जाएंगे। वहीं, आइसा के शाश्वत के अनुसार बिहार बोर्ड के मेधावी छात्र नामांकन से वंचित हो जायंगे। जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम आनंद ने कहा कि अगर अंक के आधार पर नामांकन होता है तो सारे सीटों पर सिर्फ सीबीएसआई बोर्ड के छात्रों का नामांकन होगा। मौके पर एनएसयूआई के अली रजा , शाश्वत सिंह , छात्र नेता शिवली तब्रेज, दिपानकर प्रकाश एआईएसएफ़ के सैफ़, तौसिफ, ख़ालिद जमशेद, ओशमा, आसिफ़, रमीज़ सहित कई छात्र नेता मौजूद थे।

इस पूरे मामले पर पीयू के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि प्रवेश परीक्षा के आधार पर भी अगर पर नामांकन होता था तो इसमें सीबीएसई के छात्र आते थे। नामांकन में बिहार बोर्ड के छात्र नहीं पिछड़ रहे हैं। यह एक तरह का अफवाह है। बिहार बोर्ड के लिए सीटें पहले तय करने का अधिकार बिहार सरकार को है। इसे कराने के लिए एकेडमिक काउंसिल, सिंडिकेट और सीनेट से पास होना जरूरी है। जैसा कि पीजी में 80 प्रतिशत सीटें विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए तय है। छात्र संगठनों की मांगों को सरकार के पास भेजा जाएगा। नामांकन नियमानुसार होगा।