कानपुर में छोटे बच्चों पर बुखार और निमोनिया ने हमला बोल दिया है। दो-तीन दिन से हैलट के बालरोग अस्पताल में प्रतिदिन 40-50 बच्चे भर्ती हो रहे हैं। इतनी तेजी से संक्रमण फैलने पर स्वाइन फ्लू का शक किया जा रहा है। बाल रोगियों की संख्या एकदम से बढ़ने पर बच्चों के लिए दो नए वार्ड खोल दिए गए हैं और तीसरा खोलने की तैयारी है।
स्थिति के मद्देनजर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बालरोग और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों की बैठक कर समीक्षा की। बाल रोगियों की संख्या अचानक बढ़ने से मेडिकल कालेज प्रबंधन के हाथ-पैर फूल गए हैं।
यह समझ में नहीं आ रहा है कि किसी बीमारी ने हमला बोल दिया है जिससे इतनी बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं। यहां औसत 10-12 रोगियों का रहा है लेकिन इनकी संख्या चार गुना से अधिक हो गई है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर संजय काला का कहना है कि बच्चों की भर्ती का 10 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है।
इसके पहले अधिकतम 186 बच्चे एक वक्त में भर्ती रहे हैं। अस्पताल में इस वक्त भर्ती 255 बच्चों में 76 बच्चे एनआईसीयू और 38 बच्चे पीआईसीयू के भी शामिल हैं। बालरोग और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों की बैठक में स्वाइन फ्लू के संक्रमण का भी शक जाहिर किया गया है।
इसके साथ ही कोरोना के किसी नए वेरिएंट की भी आशंका जताई गई। प्राचार्य ने बताया कि सभी बच्चों का कोरोना टेस्ट कराया जाएगा। इसके साथ ही स्वाइन फ्लू की जांच के लिए सैंपल केजीएमयू लखनऊ भेजे जाएंगे। वैसे माइक्रबायोलॉजी विभाग में भी जांच की सुविधा है लेकिन इस वक्त किट की दिक्कत की वजह से सैंपल लखनऊ भेजे जाएंगे।
ए टाइप इंफ्लुएंजा के चार रोगी मिले
स्वाइन फ्लू के परिवार के वायरस ए टाइप इंफ्लुएंजा के चार रोगी मिले हैं। इसकी पुष्टि निजी पैथोलॉजी में कराई गई पीसीआर जांच में हुई है। इन रोगियों का इलाज वरिष्ठ बालरोग विशेषज्ञ डॉ. राजतिलक ने किया है। टाइप इंफ्लुएंजा एच1एन1
की तरह का ही वायरस होता है। इस संक्रमण की चपेट में आए रोगी की हालत गंभीर हो जाती है। डॉ. तिलक का कहना है कि बालरोग अस्पताल में आने वाले वायरल फीवर के रोगियों में निमोनिया, वायरल डायरिया भी पाया जा रहा है। बालरोग विभागाध्यक्ष डॉ. यशवंत राव ने बताया कि बुखार के बाद वायरल इंसेफ्लाइटिस, मेनिनजाइटिस आदि दिक्कतें भी हो जाती हैं।
वायरल फीवर से दो बच्चों की मौत
वायरल फीवर से दो बच्चों की मौत हो गई है। एक बच्चे की मौत रविवार को बालरोग अस्पताल में हुई है और एक रोगी की लालबंगला के अस्पताल में मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि बच्चे बुखार आया, इसके बाद सीना जकड़ गया। सांस लेने में दिक्कत होने पर अस्पताल ले गए लेकिन मौत हो गई।