सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए छह विधायकों को दलबदल विरोधी मामले में अंतिम जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते की मोहलत दी है। छह विधायकों में से चार राजेंद्र सिंह गुढ़ा, वाजिब अली, लाखन मीणा और संदीप यादव वकीलों से चर्चा के लिए बृहस्पतिवार को दिल्ली में थे जबकि जोगेंद्र सिंह अवाना और दीपचंद खैरिया राजस्थान में थे।
ये सभी छह विधायक 2018 विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन सितंबर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। इनके इस कदम को बसपा नेता सतीश चंद ने दलबदल विरोधी कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जोगेंद्र सिंह अवाना और दीपचंद ने बुधवार रात को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की।
जोगेंद्र ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले नोटिस पर चर्चा की। सीएम गहलोत हमारे नेता और प्रमुख हैं, वह हमसे ज्यादा चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि यदि छह के छह विधायक एक साथ दूसरी पार्टी में शामिल होते हैं तो इसमें क्या समस्या है। हमें पूरा विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आएगा।
चार हाईकोर्ट के लिए 16 नामों की सिफारिश भेजी
चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बॉम्बे, गुजरात, उड़ीसा और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के लिए 16 जजों के नामों की सिफारिश की है। कॉलेजियम की बुधवार को हुई बैठक में छह न्यायिक अधिकारियों और 10 वकीलों को हाईकोर्ट के जज बनाए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
कॉलेजियम के अनुसार चार न्यायिक अधिकारियों एएल पंसारे, एससी मोरे, यूएस जोशी फाल्के और बीपी देशपांडे को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाने की संस्तुति की है। देश के 25 हाईकोर्ट में कुल स्वीकृत जजों की संख्या 1080 हैं, जबकि एख मई, 2021 तक केवल 420 जजों के साथ हाईकोर्ट काम कर रहे थे।