JDU ने UP में अपने विस्तार की संभावनाओं को देखते हुए 15 विधानसभा सीटों पर दावा ठोंका है। यहां के सामाजिक समीकरण उसके अनुकूल है, लेकिन गठबंधन अनुकूल होगा या नहीं इस संदेह बरकरार है। UP में गठबंधन को लेकर JDU नेताओं की BJP केन्द्रीय नेतृत्व से कई बार मुलाकात हो चुकी है, लेकिन अब भी कुछ पक्का नहीं हुआ है। BJP यहां 5 सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं।
आंकलन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 16 जिलों में कुर्मी वोटर की आबादी करीब 12% है, जो वोटों के लिहाज से असर दिखाती है। यही वजह है कि JDU को यहां अपने विस्तार के लिए संभावनाएं दिख रही हैं। पार्टी ने यहां 15 सीटों पर अपना दावा किया है। ये वही सीटें हैं, जहां कुर्मी वोट ज्यादा है। बिहार से सटे सोनभद्र, मिर्जापुर, संत कबीर नगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर के साथ ही बाराबंकी, कानपुर, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, प्रयागराज, एटा, सीतापुर बलरामपुर, अकबरपुर, बरेली और लखीमपुर खीरी ऐसे जिले हैं जहां विधानसभा सीटों पर कुर्मी वोटर किसी को भी जिताने की स्थिति में है।
BJP समीकरण के लिहाज से पहले ही कर चुकी है गठबंधन
ऐसा नहीं की BJP को यूपी में कुर्मी समुदाय की इस ताकत का अहसास नहीं। इसे लेकर उसने पहले ही गठबंधन तैयार कर लिया है। कुर्मी, कोइरी और भूमिहार समुदाय भाजपा के वहां परंपरागत वोट बैंक माने जाते रहे हैं, लेकिन इसे और मजबूत बनाने के लिए पार्टी ने यहां प्रदेश अध्यक्ष कुर्मी समुदाय से आने वाले स्वतंत्र देव को बनाया है। साथ ही भाजपा ने सहयोगी के तौर पर कुर्मी समाज से आने वाली अनुप्रिया पटेल के अपना दल एस के साथ गठबंधन कर रखा है। हालांकि, यह सही है कि अगर इस पूरे समीकरण में नीतीश कुमार की JDU भी शामिल हो जाती है तो भाजपा का गठबंधन और मजबूत होगा, लेकिन उसके लिए JDU को 15 सीटें देना संभव नहीं, क्योंकि उसे यहां अनुप्रिया पटेल को भी हिस्सेदारी देनी होगी।
BJP 5 से ज्यादा सीटें देने को राजी नहीं तो JDU 13 से कम पर तैयार नहीं
माना जा रहा है कि 13 सीटों पर JDU मान सकती है, लेकिन BJP 5 सीट से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कड़े तेवर में अकेले चुनाव में उतरने की बात कही है। बता दें, निर्वाचन आयोग से किसी राज्य में राजनीतिक दल की मान्यता के लिए यह जरूरी है कि 30 विधायकों में से उस पार्टी का एक विधायक हो। UP में विधानसभा की 403 सीटें हैं। यानी यहां राज्य स्तरीय पार्टी बनने के लिए कम से कम 13 विधायक चाहिए।
इसी तरह अगर चार राज्यों में किसी पार्टी को मान्यता मिलती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है। JDU को अभी बिहार और अरुणाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय पार्टी की मान्यता मिली हुई है। उत्तर प्रदेश और मणिपुर में मान्यता प्राप्त करने की तैयारी कर चल रही है। किसी पार्टी को एक बार यह मान्यता मिल जाए तो 10 वर्षों तक बनी रहती है। यही वजह है कि अरुणाचल प्रदेश में JDU में हुई टूट के बावजूद वहां अब भी उसे राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है।