माता-पिता के लिए जीवन में सबसे बड़ी उपलब्धि होती है उसके संतान की कामयाबी। सड़क पर निकलने के दौरान उसके माता-पिता को लोग संतान की वजह से जाने तो यह और भी गर्व का एहसास कराता है। यह कहना है देश की पहली महिला फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह के पिता कुमारेश्वर सिंह का। राफेल उड़ाने वाली बनारस की बेटी शिवांगी के फुलवरिया स्थित मकान पर पिता कुमारेश्वर सिंह ने अमर उजाला को बताया कि कोविड काल के दौरान लॉकडाउन के बाद अंतिम बार बेटी शिवांगी घर आई थी।
ट्रेवल का बिजनेस करने वाले कुमारेश्वर सिंह ने बताया कि वायु सेना में लेफ्टिनेंट शिवांगी की कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय ने उसे आज उस सफलता के मुकाम पर खड़ा किया है। अंबाला में रहने वाली बेटी से मोबाइल पर बातचीत होती रहती है। उसकी मां सीमा सिंह और छोटा बेटा मयंक सिंह अंबाला में ही है। बिटिया ने मान बढ़ाया है।
इसे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि 16 दिसंबर 2017 को ही हैदराबाद स्थित एयर फोर्स अकादमी में शिवांगी को फाइटर पायलट का तमगा मिला था। उन्होंने बताया कि शिवांगी पढ़ाई में मेधावी रहने के साथ ही एनसीसी में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन की थी। एनसीसी में राजपथ पर 2013 में परेड करने के बाद उसने बांग्लादेश का भी दौरा किया। वहां भी एनसीसी में बेस्ट कैडेट चुनी गईं थी।
वाराणसी में स्कूलिंग के बाद उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) पढ़ने गई थीं। बीएचय में ही वह नेशनल कैडेट कोर में 7 यूपी एयर स्क्वाड्रन का हिस्सा थीं। बीएचयू से 2013 से 2015 तक एनसीसी कैडेट रहीं। साथ ही सनबीम भगवानपुर से बीएससी किया।
सपने देखना फिर उन्हें पूरा करने के लिए जुनून की हद तक गुजर जाने की कहानी का मूर्त रूप हैं शिवांगी। देश सेवा का जज्बा शिवांगी की रगों में है। उनके नाना भी आर्मी में थे। शिवांगी ने जब चलना सीखा उसके कुछ समय बाद से ही आकाश में परवाज भरने की ठान ली।
प्रदेश की पहली महिला फाइटर पायलट बनी शिवांगी के लिए फाइटर प्लेन उड़ाने का ख्वाब पूरा करना आसान नहीं था। बावजूद इसके शिवांगी ने न सिर्फ अपना सपना पूरा किया बल्कि दूसरी लड़कियों के लिए भी नजीर भी बनीं। बीते 16 दिसंबर को हैदराबाद स्थित एयर फोर्स एकेडमी में उन्हें फाइटर पायलट का तमगा मिला।