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Ashtami Navami 2021 Date: जानिए अष्टमी-नवमी के मुहूर्त, इसलिए किया जाता है कन्या पूजन

Ashtami Navami 2021 Date: शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो गई है। 15 अक्टूबर तक पर्व मनाया जाएगा। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्रि आठ दिन में समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अष्टमी और नवमी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसे में आइए जानते हैं दोनों दिनों की तिथियां और कन्या पूजन विधि।

नवरात्र व्रत में इसलिए किया जाता है कन्या पूजन

नवरात्रि में हवन करने के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व है। बड़े-बड़े त्योहारों पर, शुभ मुहूर्त में और महानवमी के दिन कन्याओं की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। वेदों में अविवाहित कन्याओं को देवी का रूप माना गया है। कन्या की पूजा करने से मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज की प्राप्ति होती है। लड़कियां बाधाओं, भय और शत्रुओं का नाश करती हैं। दो साल की बच्ची का नाम कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की बच्ची, सात साल की चंडिका, आठ साल की बच्ची है. शंभरी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की बच्ची सुभद्रा। ग्यारह वर्ष से अधिक आयु की कन्याओं की पूजा वर्जित मानी जाती है। कहा जाता है कि होमा, जप और दान-पुण्य से देवी उतनी प्रसन्न नहीं होती, जितनी किसी कन्या की पूजा करने से होती है। कन्या पूजन को दुख, दरिद्रता और शत्रुओं के विनाश के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यह आवश्यक नहीं है कि केवल नौ कन्याओं की ही पूजा की जाए। एक कन्या की पूजा नौ कन्याओं के समान फलदायी होती है।

दुर्गा अष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

– दुर्गा अष्टमा की पूजा: 13 अक्टूबर को की जाएगी।

– नवरात्रि अष्टमी तिथि आरंभ: 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से

– नवरात्रि अष्टमी तिथि समाप्त: 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट पर।

नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त

– नवमी की पूजा: 14 अक्टूबर को की जाएगी।

– नवमी तिथि आरंभ: 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से

– नवमी तिथि समापन्न: 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट पर।

कन्या पूजा विधि

– कन्या पूजा से एक दिन पहले कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करना चाहिए।

– शास्त्रों के अनुसार पूजा में दो साल से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को बुलाना चाहिए।

– सबसे पहले सभी बच्चियों के पैस शुद्ध जल से साफ करें।

– इसके बाद कन्याओं को आसन पर बैठने का अनुरोध करें।

– अब मां दुर्गा के सामने दीपक जलाकर उनका तिलक करें।

– सभी बच्चियों का भी तिलक करना चाहिए।

– जो भोजन बनाया है, पहले उसका भोग लगाएं। फिर कन्याओं को खिलाएं।

– अब लड़कियों का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

– इसके के बाद श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा देकर बच्चियों को विदा करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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