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पाकिस्तान करा रहा भारत में रेल हादसे, संदिग्ध आतंकियों ने किया खुलासा

कानपुर रेल दुर्घटना के पीछे आईएसआई लिंक की बात सामने आ रही है। बिहार के घोड़ासहन रेल ट्रैक बम कांड के सिलसिले में गिरफ्तार अपराधियों ने इसका खुलाया किया है। बिहार के पूर्वी चंपारण जिला पुलिस ने मंगलवार को तीन ऐसे अपराधियों को धर दबोचा जिन्होंने स्वीकारा है कि वे रेल को निशाना बनाने के लिए आईएसआई से संदिग्ध तौर पर संबंध रखने वाले पड़ोसी देश नेपाल के एक नागरिक के लिए काम करते थे।
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बिहार पुलिस ने रेलवे में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की कार्रवाई की साजिश रचने के आरोप में तीन लोगों को पश्चिम चंपारण जिले से गिरफ्तार किया है। इन लोगों के आईएसआई से संबंध होने का शक जताया जा रहा है। पुलिस ने दावा किया है कि तीनों ने कबूल किया है कि उन्होंने एक नेपाली संपर्क के लिए काम किया था। इस नेपाली संपर्क का पाकिस्तानी आईएसआई से संबंध था। पुलिस इस बात की छानबीन कर रही है क्या इन लोगों का कानपुर के रेल हादसों में भी हाथ था।  पुलिस ने दावा किया है कि गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने आईएसआई से संबंध वाले एक नेपाली संपर्क के लिए काम किया था। भारतीय रेलवे को निशाना बनाने के मकसद से उन्होंने नेपाली संपर्क के लिए काम किया था। मोतिहारी के डीएसपी जितेंद्र राणा ने संवाददाताओं को बताया कि तीनों आरोपियों – मोती पासवान, उमा शंकर पटेल और मुकेश यादव को जिले के आदापुर पुलिस थाने इलाके से गिरफ्तार किया गया। तीनों पेशेवर अपराधी हैं। पूछताछ के दौरान पता चला कि उन्हें ब्रजेश गिरी नाम के एक नेपाली नागरिक ने तीन लाख रुपये दिए थे। तीनों को इसके एवज में 1 अक्टूबर को पश्चिम चंपारण को घोड़ासहन में रेलवे ट्रैक पर बम रखना था। गनीमत थी कि वक्त रहते गांव वालों की मदद से यह बम बरामद कर लिया गया। ब्रजेश कथित तौर पर आईएसआई से जुुड़ा हुआ था।
इन तीनों के अलावा नेपाल के तैलेया से भी तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों से पूछताछ के आधार पर पश्चिम चंपारण जिले में छिपे दो अन्य बदमाशों गजेंद्र शर्मा और राकेश यादव को भी गिरफ्तार करने की कोशिश हो रही है।
पुखरायां हादसा
इंदौर से पटना जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस 20 नवंबर की तड़के करीब तीन बजे कानपुर देहात पुखरायां स्टेशन के पास पलट गई थी। हादसे में 152 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। घटना के समय ट्रेन की स्पीड 110 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। 14 ट्रेन पलट गए थे। स्पीड अधिक होने के कारण कई कोच एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए थे।