बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कितने भी दावे किए जाएं जमीनी स्तर पर सब खोखले मिलते हैं। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय लगातार ब्लड बैंक को लेकर दावे पर दावा किए जा रहे हैं लेकिन हकीकत जान आप भी हैरान हो जाएंगे। मंगलवार को आधा दर्जन से अधिक थैलेसीमिया पीड़ित मासूम 300 किलो मीटर का सफर तय कर सुबह सुबह PMCH पहुंच गए लेकिन ब्लड बैंक से खून नहीं मिला। नियम ऐसे पीड़ितों के लिए प्राइवेट ब्लड बैंक से ब्लड की व्यवस्था करने का है लेकिन PMCH के ब्लड बैंक के डॉक्टरों को तरस भी नहीं आई। वह 5 किमी का सफर तय कर प्राइवेट ब्लड बैंक से खून की व्यवस्था नहीं करा पाए।
मासूमों के साथ हो रहा अपराध
थैलेसीमिया पीड़त मासूमों के साथ बड़ा अपराध किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दावा किया जा रहा है कि ब्लड बैंक से कभी कोई भी मरीज निराश नहीं जाएगा। दावा यह भी किया जाता है कि थैलेसीमिया पीड़िताें को ब्लड के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उनके लिए ब्लड हमेशा रिजर्व में रखा जाता है, लेकिन ऐसे दावों की पोल पटना मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैक से खुल रही है। थैलेसीमिया डे केयर में सुबह ही आधा दर्जन मासूमों को लेकर दूर दराज से परिजन आ गए लेकिन खून की व्यवस्था ही नहीं की गई। ब्लड बैंक में दो कर्मियों को स्पेशल थैलेसीमिया पीड़ितों के ब्लड के लिए रखा गया है लेकिन यह भी मासूमों की पीड़ा पर तरस नहीं खाते हैं।
PMCH का ब्लड बैंक हो गया ड्राई
पटना मेडिकल कॉलेज में बिहार का सबसे बड़ा ब्लड बैंक है। इसमें थैलेसीमिया के मासूमों को लेकर यहां विशेष व्यवस्था का दावा किया गया है। लेकिन मंगलवार को ब्लड बैंक ड्राई हो गया है। ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ आर एन शुक्ला का कहना है कि उनके पास ब्लड ही नहीं है और थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए ब्लड मंगाने के लिए डे केयर सेंटर से डॉक्टरों ने डिमांड भी नहीं भेजी है। उनका कहना है कि कई ब्लड ग्रुप से ब्लड बैंक ड्राई हो गया है। जितने भी थैलेसीमिया पीड़त आए हैं, उनके लिए ब्लड बैंक में ब्लड ही नहीं है। जब सवाल किया गया कि गलती किसकी है तो इंचार्ज ने स्वीकार किया ब्लड बैंक की गलती है। ब्लड बैंक को नियंत्रण करने वाले अफसर डॉ एन के गुप्ता का कहना है कि पीएमसीएच ब्लड बैंक की गलती है और इस पर एक्शन लिया जाएगा।
किट नहीं होने से जांच ठप
पटना मेडिकल कॉलेज से जुड़े सूत्रों की मानें तो यहां जांच किट ही नहीं है। किट नहीं होने के कारण जांच ठप है। बताया जा रहा है कि थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों की पहले 5 तरह की जांच कराई जाती है। इसमें हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया, सिपलिस और HIV की जांच होती है। इसके बाद ही खून चढ़ाया जाता है। लेकिन पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में किट नहीं होने से ब्लड की जांच ही नहीं हो पाई है।