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कानपुर : हैलट में हुई प्रदेश की पहली स्टेम सेल थेरेपी, लाइलाज बीमारियों के रोगियों को मिलेगी राहत

स्टेम सेल थेरेपी से लाइलाज रोगों का इलाज करने वाला हैलट प्रदेश का पहला राजकीय मेडिकल कॉलेज बन गया। बुधवार से स्टेम सेल थेरेपी की शुरुआत हो गई। गुमटी के रहने वाले सेलिब्रल पैल्सी के पांच साल के रोगी को थेरेपी दी गई। इस प्रक्रिया में 40 मिनट लगा। विशेषज्ञ डॉ. बीएस राजपूत ने थेरेपी दी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्टेम सेल थेरेपी का यह पहला केस है।

गुमटी का रहने वाला रोगी पैदाइशी सेरिब्रल पैल्सी का शिकार है। उसे दौरे पड़ते हैं। उठ-बैठ नहीं पाता। पाखाना-पेशाब का भी पता नहीं चलता। रोगी की ही अस्थि मज्जा से स्टेम सेल निकाली गई। इन्हें कल्चर करने के बाद उसकी रीढ़ में डाला गया। प्राचार्य डॉ. काला ने बताया कि रीढ़ के जरिये स्टेम सेल सेरिब्रल पैल्सी के रोगी के मस्तिष्क  तक पहुंच जाती हैं। स्टेम सेल से क्षतिग्रस्त कोशिकाएं दुरुस्त होने लगती हैं।

स्टेम सेल थेरेपी के विशेषज्ञ और जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. बीएस राजपूत ने रोगी को स्टेम सेल थेरेपी देने के पहले हैलट में ओपीडी की। आउट डोर में डॉ. राजपूत ने पांच रोगी देखे। इन रोगियों में जिन्हें जरूरत होगी उन्हें अगले महीने के मंगलवार को थेरेपी दी जाएगी। प्राचार्य डॉ. काला ने बताया कि थेरेपी में लाइलाज मर्ज के रोगियों को प्राथमिकता दी जाएगी। स्टेम सेल थेरेपी की टीम में डॉ. काला, सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. जीडी यादव, एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर, रेजीडेंट डॉ. अभिषेक आदि रहे। 

इन रोगों में दी जाएगी थेरेपी
आटिज्म, मांसपेशियों की डिस्ट्रॉफी, स्पाइनल कॉर्ड की चोट के ऐसे रोगी जो 108 दिन के इलाज के बाद ठीक नहीं हुए। एएलएस, आस्टियो आर्थ्राइटिस, बर्जरी डिजीज, पेरीफ्रल आर्टरी डिजीज आदि।