पानीपत। कोरोना संक्रमण का हर क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कोरोना के कारण औद्योगिक क्षेत्र में फरवरी व मार्च माह से शुरू होने वाली बड़ी परियोजनाएं भी अटक गई हैं। इन परियोजनाओं के अटकने से प्रदूषण नियंत्रण समेत कई कार्य प्रभावित होंगे। इससे उझमियों को कई चुनौतियां झेलनी पड़ेंगी। इसके अलावा कोरोना के कारण उद्यमियों के करोड़ों के आर्डर भी रद्द हो गए हैं। उद्यमियों को सिर्फ दिन की शिफ्ट में काम करना पड़ रहा है।
डिप्टी सीएम ने दिसंबर 2021 के पहले सप्ताह में उद्योगों को एसटीपी के पानी वाली परियोजना पर मुहर लगा दी थी। इस साल फरवरी में सिवाह गांव के पास स्थित एसटीपी से सेक्टर 29 तक पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू होना था, लेकिन प्रशासन अब कोरोना संक्रमण रोकने के लिए योजना बनाने और कोरोना पाबंदियों का पालन करने में व्यस्त हो गया है। इससे अब तक इस काम का टेंडर नहीं हो पाया है। उद्यमियों का कहना है कि अब इस परियोजना पर कोरोना की तीसरी लहर खत्म होने के बाद ही काम हो पाएगा।
इसके अलावा नीदरलैंड की एनजीओ ने फरवरी माह में ही सेक्टर 29 में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लैब की स्थापना करने जा रही थी। कोरोना प्रभाव के कारण फिलहाल एनजीओ को इस परियोजना को रोकना पड़ा है। ऐसे में 2022 में भी शहर का प्रदूषण स्तर नियंत्रित नहीं हो पाएगा। एनजीटी ने उद्यमियों को चेतावनी दी है कि अगर वो पीएनजी की सप्लाई नहीं लेंगे तो उद्योगों पर ताला लगा दिया जाएगा।
ऐसे में अब उन उद्योगों को ही एनओसी मिलेगी जिनके पास पीएनजी की सप्लाई होगी। वर्तमान में सेक्टर 25 व सेक्टर 29 के कई स्थानों पर पीएनजी पाइप दबाने का काम रुक गया गया है। ये काम अब अप्रैल में ही शुरू होने की संभावना है। ऐसे पीएनजी पाइप दबाने का कार्य समय पर पूरा न होने से कई उद्योगों पर इसका असर पड़ना तय है।
जेडएलडी परियोजना पर भी पड़ेगा असर
विधायक प्रमोद विज ने विधानसभा में भी उद्यमियों के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट की आवाज उठाई थी। इस परियोजना पर सीएम ने हामी भर रखी है। अधिकारी इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। उद्यमियों को उम्मीद थी कि फरवरी माह तक सरकार उन्हें इस प्रोजेक्ट की सौगात दे सकती है। मौजूदा परिस्थितियों में इस प्रोजेक्ट पर भी कोरोना का असर पड़ेगा।
उद्योगों के लिए नहरी पानी परियोजना का कार्य भी रुका
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने दिसंबर माह में उद्यमियों को आश्वासन दिया था कि जल्द सेक्टर 29 के पूरे क्षेत्र में नहरी पानी की सप्लाई की जाएगी। इसके लिए जल्द पाइपलाइन बिछाने का काम भी शुरू होगा। उद्यमियों को उम्मीद थी कि जनवरी में ये काम शुरू होगा, लेकिन अब कोविड के कारण यह कार्य भी रुक गया है।
कोरोना के चलते कई परियोजनाएं प्रभावित हो रही है। पीएनजी पाइपलाइन दबाने का काम रुक गया है। एसटीपी का पानी उन्हें मिलना था। इस काम का टेंडर भी फिलहाल कैंसिल हो गया है। सभी प्रोजेक्ट अब देरी से शुरू होंगे। नीदरलैंड की एनजीओ लैब के लिए तब आएगी जब कोविड का खतरा टल जाएगा।
भीम राणा, प्रधान डायर्स एसोसिएशन
परियोजनाएं अटकने से यह ये असर पड़ेगा
एसटीपी का पानी-
नालों का पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में संशोधित होता है। फिर उसको ड्रेन में छोड़ दिया जाता है। अगर ये पानी उद्यमियों को मिलेगा तो भूजल का दोहन बचेगा।
पीएनजी पाइपलाइन-
पीएनजी पाइपलाइन न दबने से उद्यमी समय पर पीएनजी की सप्लाई नहीं ले पाएगा। प्रदूषण बढ़ते ही एनजीटी बिना पीएनजी वाले उद्यमियों को बंद कर देगा। ऐसे में उद्यमियों को करोड़ों का नुकसान होगा।
लैब-
प्रदूषण को नियंत्रित करने व उद्यमियों को बेहतर केमिकल के प्रति जागरूक करने के लिए लैब बननी है। इस लैब का काम अटकने से शहर का प्रदूषण स्तर बढ़ेगा। उद्यमियों को बेहतर केमिकल के बारे में नहीं पता चलेगा।
जेडएलडी-
जेडएलडी प्रोजेक्ट में पानी की जीरो खपत होती है। भूजल से पानी निकले के बाद उद्योगों में जाएगा वो से इस्तेमाल होकर जेडएलडी में जाएगा। वहां से ट्रीट होकर दोबारा उद्योगों को मिलेगा। ये वाटर की रिसाईकिलिंग है। इससे भू जल का दोहन बचता है।