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खटारा वाहनों से ढोए जा रहे स्कूली बच्चे

जिले के स्कूल में चलने वाले वाहनों की हालत काफी खस्ता है। कई ऐसी बसें हैं, जो काफी जर्जर हालत में हैं अथवा उनकी मियाद पूरी हो गई है। बावजूद इन बसों का उपयोग स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में किया जा रहा है। मियाद पूरी कर चुके जर्जर बसों से हर समय हादसा होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में प्रशासन की लापरवाही से बच्चों का भविष्य भी खतरे में रहता है। cash-van_1480306908
 
जनपद में करीब डेढ़ सौ विद्यालय ऐसे हैं, जहां स्कूलों में बच्चों को लाने- लेे जाने के लिए बसेें अथवा वैन संचालित किए जाते हैं। यह सुविधा भले ही अभिभावकों को राहत पहुंचाने के लिए है। लेकिन स्कूल प्रबंधकों की लापरवाही अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। ये तो शुक्र है कि जिले में अब तक जर्जर स्कूली वाहनों से कोई बड़ा सड़क हादसा नहीं हुआ है।

बावजूद मियाद पूरी कर चुके खटारा बसों से आए दिन हादसे की संभावना बनी रहती है। विभाग खटारा और मियाद पूरी कर चुके बसों को लेकर बार-बार निर्देश जारी कर औपचारिकता पूरी करता रहता है। लेकिन स्कूलों में मियाद पूरी कर चलने वाली खटारा बसों के विरुद्ध कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाता।

ऐसे में निजी स्कूल संचालक अपने स्कूल के बच्चों को मियाद पूरी कर चुके खटारा बसों से स्कूल लाने और ले जाने का काम करते हैं। यदि विभाग ने ध्यान नहीं दिया तो कभी भी जिले में स्कूली बसों से बड़ा हादसा हो सकता है।  नगरा क्षेत्र में खटारा वाहन स्कूली बच्चों को धड़ल्ले से ढो रहे हैं। शिक्षा महकमा या परिवहन महकमा भी उन खटारा वाहनों से अनभिज्ञ नहीं है।

प्रतिदिन सुबह परिवहन विभाग के अधिकारी नगरा क्षेत्र में मौजूद रहते है। उसी वक्त ये खटारा वाहन बच्चों को लेकर स्कूल जाते हैं। बावजूद इन खटारा वाहनों की जांच पड़ताल परिवहन विभाग नहीं करता। ऐसी ही स्थिति शिक्षा विभाग की भी है। ये खटारा वाहन परिवहन के मानकों पर कहीं से खरे नहीं है। बावजूद शिक्षा महकमा इन स्कूलों को खटारा वाहन न चलाने की हिदायत तक नहीं देता है।