उप मुख्यमंत्री के निरीक्षण में उप्र मेडिकल सप्लाइज कार्पोरेशन लिमिटेड में मिलीं एक्सपायर्ड दवाइयों का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक नया बखेड़ा खड़ा होने लगा है। हाल ही में सप्लाइज कार्पोरेशन से भेजे गये इंजेक्शन रिंगर लैक्टेट (आरएल) के प्रयोग से मरीजों को कंपकंपी छूट रही है। मामला सामने आने पर अस्पतालों में इसका प्रयोग बंद करके ड्रग वेयर हाउस को सूचित किया गया है। ऐसे में एक बार फिर कार्पोरेशन से मिली दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
भाजपा सरकार से पूर्व अस्पतालों में दवाओं के लिए भारी-भरकम बजट आवंटित किया जाता था। इसी बजट से अस्पताल की ओपीडी के अलावा इमरजेंसी व भर्ती मरीजों के लिए दवाएं व इंजेक्शन आदि की व्यवस्था की जाती थी। योगी सरकार बनने के बाद दवाओं की आपूर्ति प्रणाली में बदलाव किया गया। नई व्यवस्था के तहत जिला स्तरीय अस्पतालों के अलावा सीएमओ के अधीन संचालित सीएचसी-पीएचसी पर भी जरूरत के अनुसार दवाओं की आपूर्ति के लिए उप्र मेडिकल सप्लाइज कार्पोरेशन लिमिटेड बनाया गया।
ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम की मदद से अस्पतालों की जरूरत के अनुसार ऑनलाइन आर्डर लेकर दवाएं भेजी जाती हैं। इसके लिए मंडल स्तर पर एक ड्रग वेयरहाउस किराए के भवन में दर्शननगर स्थित सीएमओ कार्यालय के निकट बनाया गया है जहां कार्पोरेशन से दवाओं की आपूर्ति की जाती हैं। यहां से अलग-अलग अस्पतालों को उनकी डिमांड के अनुरूप दवाएं भेजी जाती हैं।
मई में शरीर में तरल पदार्थों की मात्रा को पूरा करने और शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बहाल करने के लिए उपयोग में आने वाले रिंगर लैक्टेट (आरएल) की आपूर्ति ड्रग वेयरहाउस से जिला अस्पताल, राजकीय श्रीराम चिकित्सालय समेत सीएचसी-पीएचसी पर की गई थी। जिला अस्पताल में पांच सौ मिली लीटर का दो हजार आरएल भेजा गया था। इसे जब मरीजों को चढ़ाया गया तो उन्हें कंपकंपी छूटने लगी। ऐसी ही समस्या राजकीय श्रीराम अस्पताल अयोध्या, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रुदौली व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मवई समेत अन्य अस्पतालों में सामने आई।
मामला गंभीर होने के कारण अस्पताल के अधीक्षकों ने ड्रग वेयरहाउस के प्रभारी को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया। इसके बाद ड्रग वेयरहाउस प्रभारी ने उप्र मेडिकल सप्लाइज कार्पोरेशन लिमिटेड को उक्त पत्रों को अग्रसारित करते हुए अग्रिम कार्रवाई के लिए कहा। इस बीच अस्पतालों ने आरएल का उपयोग करना बंद कर दिया है और नई आपूर्ति होने तक स्थानीय स्तर पर व्यवस्था की जा रही है।
क्यों दिया जाता है आरएल
राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. वीरेंद्र वर्मा का कहना है कि अत्यधिक उल्टी, दस्त, निर्जलीकरण या हैजा जैसे संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए विशेष रूप से आरएल उपयोगी है। इसे एक अंत: शिरा द्रव इंजेक्शन के माध्यम से या इलेक्ट्रोलाइट थेरेपी के रूप में दिया जाता है। यह मुख्य रूप से शरीर में तरल पदार्थों की मात्रा को पूरा करने और शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बहाल करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। अम्लता से भी राहत प्रदान करता है। जिला अस्पताल सीएमएस डॉ. सीबीएन त्रिपाठी का कहना है कि ड्रग वेयरहाउस से दो हजार आरएल पांच मई को प्राप्त हुआ था। इसके प्रयोग से मरीजों को राइगर की समस्या हो रही है। इसकी जानकारी चिकित्सकों व उपचारिकाओं ने दी थी जिससे इसके प्रयोग को रोक दिया गया है।