छोटी बचत योजनाओं (एसएससी) पर अगले महीने से ब्याज दरें 0.5 से 0.75 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। सरकार इस माह के अंत तक इस पर फैसला लेगी। इससे इन योजनाओं में ज्यादा निवेशक आ सकते हैं और ज्यादा ब्याज देने के लिए सरकार को अतिरिक्त उधारी लेने की कम जरूरत पड़ेगी।
पिछले 2 वर्षों (अप्रैल, 2020) से इस पर मिलने वाली ब्याज दरों में बदलाव नहीं हुआ है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इन योजनाओं की ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकारी प्रतिभूतियों की ब्याज दरें बढ़ गई हैं।
इसलिए सरकार को देना होगा ज्यादा ब्याज
आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग का कहना है कि सरकार जो उधारी बाजार से लेती है, वह 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज पर होता है। ऐसे में छोटी बचत योजनाओं पर उसे ज्यादा ब्याज देना होगा। छोटी बचत योजनाओं में सबसे ज्यादा ब्याज सुकन्या समृद्धि योजना पर मिलता है जो 7.6 फीसदी है।
0.5 से 0.75 फीसदी तक बढ़ सकता है ब्याज
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्तमंत्रालय अगले महीने से इन योजनाओं की ब्याज दरों में 0.5 से 0.75 फीसदी का इजाफा कर सकता है। आईसीआईसीआई बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री समीर नारंग कहते हैं कि सरकार का जो ट्रेजरी बिल है, उसका एक साल का ब्याज 6.23 फीसदी के आस-पास है।
साथ ही जो उधारी सरकार बाजार से लेती है, वह 7 फीसदी से ज्यादा ब्याज पर होता है। ऐसे में एसएससी पर उसे ज्यादा ब्याज देना होगा। हालांकि यह भी उधारी ही है। ऐसे में उम्मीद है कि बेंचमार्क के आस-पास निवेशकों को रिटर्न देने के लिए उसे कम से कम आधा फीसदी ब्याज एसएससी पर बढ़ाना होगा।
हर तिमाही होती है समीक्षा
छोटी बचत योजनाओं के ब्याज पर पर हर तिमाही में समीक्षा होती है। इस बार की समीक्षा में आरबीआई द्वारा दो बार में 0.90 फीसदी रेपो दर बढ़ाए जाने पर मुख्य फोकस होगा। आरबीआई के रेपो दर बढ़ने से फिक्स्ड डिपॉजिट पर बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। इससे निवेशकों को छोटी बचत योजनाओं में बनाए रखने और आकर्षित करने के लिए सरकार भी ऐसा ही फैसला ले सकती है।
सबसे ज्यादा ब्याज सुकन्या समृद्धि पर
छोटी बचत योजनाओं में सबसे ज्यादा ब्याज सुकन्या समृद्धि योजना पर मिलता है जो 7.6 फीसदी है। पब्लिक प्रॉविडेंट फंड पर 7.1, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र पर 6.8 फीसदी, वरिष्ठ नागरिक टैक्स बचत पर 7.4 फीसदी और किसान विकास पत्र पर 6.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है। यह सभी लंबी अवधि वाली योजनाएं हैं।
चुनौतियों के बाद भी 7.8% तक रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
वैश्विक चुनौतियों के बीच चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7-7.8%रह सकती है। बेहतर कृषि उत्पादन के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने से वृद्धि दर को समर्थन मिलेगा। बीआर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा, वैश्विक महंगाई के दबाव और रूस-यूक्रेन युद्ध से अर्थव्यवस्था के सामने जोखिम पैदा हुआ है।
हालांकि, घरेलू स्तर पर आर्थिक बुनियाद मजबूत हैं। औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक नागेश कुमार ने कहा, जीएसटी संग्रह, निर्यात, पीएमआई आदि 2022-23 में मजबूत वृद्धि दर की ओर संकेत करते हैं। फ्रांस के अर्थशास्त्री गाय सोर्मन ने कहा, श्रमिक शहर से गांवों की लौट रहे हैं। इससे कृषि उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात बढ़ेगा।