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Weather Change : मानसून की बदली चाल, कमजोर पड़ी हवाएं, लखनऊ में 70 फीसदी कम हुई बारिश

Curious Case of Monsoon 2020: A Peek Into Strange Evolution and Progress of  This Year's Monsoon | The Weather Channel - Articles from The Weather  Channel | weather.com

काफी इंतजार के बाद मानसून यूपी की सीमा में तो प्रवेश कर गया, लेकिन उम्मीद के विपरीत इसकी चाल ऐसी बदली कि दूर-दूर तक इसका अता-पता नहीं है। इससे लखनऊ में लोग तीखी धूप और बेहाल कर देने वाली उमस के बीच बारिश के लिए तरस रहे हैं। वहीं, मौसम विशेषज्ञों और भू-वैज्ञानिकों की चिंता भी बढ़ती जा रही है। आंकड़े पर नजर डालें तो यह चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि जुलाई के शुरुआती 11 दिनों की ही बात करें तो लखनऊ में 70 फीसदी कम बरसात हुई है। इस दौरान 20.3 मिमी पानी ही गिरा है।

पूरे प्रदेश की बात करें तो जून से अब तक बारिश तो हुई, लेकिन यह सामान्य से 59 प्रतिशत कम रही। जुलाई में 9 और 10 के आसपास बारिश के आसार जताए गए थे, लेकिन ये फेल ही रहे। अब 14 को छिटपुट बूंदाबांदी की संभावना दिख रही है। मौसम विज्ञानी निखिल वर्मा का कहना है कि सिस्टम बन रहा है, लेकिन यह इतना मजबूत नहीं है कि मानसून को आगे बढ़ा सके।

जून में पिछले साल की तुलना में चार गुना कम गिरा पानी
इस बार प्री-मानसूनी बारिश भी जून के अंत में महज एक ही दिन हुई। मौसम विभाग ने इसके आसार जता दिए थे कि जितनी देरी मानसून के आने में हो रही है, ऐसे में इस बार शायद ही प्री मानसूनी बारिश की घोषणा की जाए। 30 जून को मानसून की पहली फुहार ने भिगोया था। मानसून की सामान्य चाल भी इस बार गड़बड़ाएगी, इसके संकेत जून में हुई 43.1 मिमी बारिश ने दे दिए थे। यह 2021 की 171.0 मिमी बारिश की तुलना में चार गुना कम थी। 19 जून को ही 39.7 मिमी बारिश हो गई थी। इस बार जून में बीते दस सालों में इतना सूखा कभी नहीं रहा। 2013 में 284.1, 2016 में 130.6, 2017 में 177.6, 2018 में 118.1 और 2020 में 82.0 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई है। 

आने वाले दिनों में भारी वर्षा से विशेषज्ञों को इनकार नहीं
वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक डॉ. सीएम नौटियाल कहते हैं कि जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2019 में 542.2, 2014 में 266.5, 2012 में 372.3 मिमी बरसात हुई है। इन तीन सालों में वर्षा के अनियमित होने का अनुमान था। इसी प्रकार यह भी पूर्वानुमान था कि कुछ दिन बहुत वर्षा होगी पर कुछ दिन सूखा रहेगा। इसके विपरीत इन वर्षों में पर्याप्त पानी गिरा। कुछ ऐसी ही स्थिति इस बार बन रही है। ऐसे में जुलाई-अगस्त में भारी वर्षा के लिए लखनऊवासी तैयार रहें। 

बढ़ता तापमान हवाओं को कम रहा कमजोर 
बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान, लखनऊ की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अंजुम फारुखी कहती हैं कि आम तौर पर मानसून की चाल ही ऐसी होती है कि कभी कहीं ज्यादा तो कहीं पानी कम बरसता है। इससे संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है, लेकिन जिस तरह से धरती का तापमान बढ़ रहा है और जलस्रोत सूख रहे हैं यह बरसात में बाधक बन रहे हैं। बढ़ता ताप हवाओं को कमजोर कर रहा है, जिससे कम दबाव वाला सिस्टम विकसित होने के बावजूद बारिश नहीं हो पा रही है। वर्तमान में कहीं ज्यादा और कहीं कम बरसात से संतुलन जरूर बना रहे, लेकिन लंबी अवधि तक इस बदलाव का असर खेती-किसान पर बुरी तरह से पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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