सार
प्रदेश में कोडिन युक्त सीरप सहित अन्य नॉरकोटिक्स दवाओं का बाजार बढ़ता जा रहा है। जबकि कप सीरप की ज्यादा बिक्री सर्दी के सीजन में होती है। प्रदेश में करीब 50 करोड़ का यह कारोबार गर्मी और सर्दी में बराबर दिख रहा है। एफएसडीए की पड़ताल में बिक्री से जुड़े दस्तावेजों में हेरफेर मिले।
सांकेतिक तस्वीर –
विस्तार
अब एफएसडीए इन दवाओं की तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने में जुटा है। इसमें पुलिस और सशस्त्र सुरक्षा बल की भी मदद ली जा रही है। विभिन्न दवाओं की थोक और फुटकर बिक्री केलिए स्टॉक निर्धारण के पीछे भी नशे के नेटवर्क को तोड़ने की रणनीति है।
प्रदेश में कोडिन युक्त सीरप सहित अन्य नॉरकोटिक्स दवाओं का बाजार बढ़ता जा रहा है। जबकि कप सीरप की ज्यादा बिक्री सर्दी के सीजन में होती है। प्रदेश में करीब 50 करोड़ का यह कारोबार गर्मी और सर्दी में बराबर दिख रहा है। एफएसडीए की पड़ताल में बिक्री से जुड़े दस्तावेजों में हेरफेर मिले।
यही वजह है कि कोडीन आधारित कफ सीरप थोक में किसी कंपनी द्वारा 100 मिलीलीटर की शीशी 500 से अधिक न देने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह थोक विक्रेता 100 और फुटकर एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही दे सकता है। इस तरह कुल 10 दवाएं चिन्हित कर उनके कंपनी के डिपो से सप्लाई, थोक, फुटकर बिक्री की सीमा निर्धारित कर दी गई है।
इसी तरह पिछले दिनों आगरा में पकड़े गए दवा कारोबारी का नेटवर्क भी नेपाल बॉर्डर तक मिला है। इस पर एफएसडीए की टीम ने आगरा से नेपाल बॉर्डर तक के तार को जोड़ा तो कई चौकाने वाली जानाकरी मिली। सूत्र बताते हैं कि नॉरकोटिक्स दवाओं का प्रयोग इलाज से कहीं ज्यादा नशे में होने के सबूत मिले हैं।
ऐसे में चिन्हित दवाएं बिना पर्चे के न देने के नियम का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। एफएसडीए ने सभी जिलों में दवा खरीद और बिक्री की पड़ताल शुरू कर दी है। हर दिन ड्रग इंस्पेक्टरों को प्रदेश मुख्यालय में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। इससे इन दवाओं की तस्करी करने वाले गिरोह में खलबली मची है।
कई बड़े कारोबारी भी हैं रडार पर
एफएसडीए को गाजियाबाद, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर के कई बड़े दवा कारोबारियों पर भी संदेह हैं। इन कारोबारियों द्वारा थोक में की जा रही दवाओं की आपूर्ति पर नजर रखी जा रही है। इनकी हर माह स्टॉक चेक करने के साथ ही जहां सप्लाई हुई है उन फुटकर विक्रेताओं की भी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। शोक और फुटकर बिक्री के दस्तावेजों के मिलान से भी दवा कारोबारियों में खलबली है।
पश्चिम बंगाल के रास्ते बॉग्लादेश तक पहुंचती हैं दवाएं
एफएसडीए के सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों गोरखपुर और वाराणसी क्षेत्र में पकड़ी गई दवाओं के बाद इस बात केपुख्ता सबूत मिले हैं कि उत्तर प्रदेश की दवाएं नेपाल और बिहार, पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक जाती हैं। 20 रुपये का सीरप बांग्लादेश पहुंच कर 200 रुपये का बिक जाता है। क्योंकि वहां शराब की बिक्री कम है।
हरदोई में मिली टिंचर की खेप
एफएसडीए की टीम ने शुक्रवार को हरदोई केपांच मेडिकल स्टोरों पर कोडीन दवाएं की बिक्री संबंधी दस्तावेज का मिलान किया। इस दौरान यहां भारी मात्रा में अल्कोहल युक्त टिंचर बरामद हुआ। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि यह टिंचर नशे में प्रयोग होता है। इन सभी स्टोरों के क्रय- विक्रय केलाइसेंस निरस्त कर दिए।
दो करोड़ की नशीली दवाएं पकड़ी
एफएसडीए ने सप्ताहभर पहले गोरखपुर और संतकबीरनगर करीब दो करोड़ की नशीली दवाएं पकड़ी। ये आगरा से पश्चिम बंगाल जा रही थीं। इसमें 498 पेटी फेंसिडिल कफ सिरप थी। मामले में छह लोगों के खिलाफ एनडीपीएस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पूछताछ के बाद इन्हें जेल भेज दिया गया।
इन दवाओं के प्रयोग पर पाबंदी
कोडीनयुक्त सीरप, ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम, क्लोनाजेपॉम, डाइजापॉम, निट्राजेपॉम, पेंटाजोसिन, बूप्रेनारफिन आदि दवाएँ शामिल हैं। इन दवाएं की बिक्री के लिए कंपनी द्वारा आपूर्ति, थोक और फुटकर विक्रेता द्वारा आपूर्ति की मात्रा तय है। बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा देने पर पाबंदी है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
दवा के नाम पर नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए कुछ दवाओं के स्टॉक निर्धारित कर दिए गए हैं। हर जिले में टीम बनाकर जांच अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान कुछ व्यापारियों के खिलाफ शिकायत मिली हैं। उन्हें रडार पर रखा गया है। पुख्ता सबूत जुटाए जा रहे हैं। प्रदेश से पूरे नेटवर्क को खत्म किया जाएगा।
एके जैन, उप आयुक्त ड्रग, एफएसडीए
क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
नॉरकोटिक्स श्रेणी में दर्ज दवाओं में कई जीवन रक्षक हैं। इन्हें मरीज की स्थिति के अनुसार डोज निर्धारित कर दिया जाता है। यही वजह हैकि इन दवाओं केलिए डॉक्ट्र का पर्चा अनिवार्य किया गया है। मनमानी तरीकी से मेडिकल स्टोर से इन दवाओं को लेकर प्रयोग करना हानिकारक है। कोडीन आधारित दवाओं का ज्यादा सेवन याददाश्त खत्म कर सकता है। किडनी, लिवर, हार्ट को प्रभावित कर सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह के इसे नहीं लेना चाहिए।
डा. अंकुर यादव, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट, एसजीपीजीआई