रायबरेली व अमेठी की सीटों को लेकर कांग्रेस और सपा के बीच फंसी जिच पर उठे सवाल को राहुल गांधी -अखिलेश यादव भले ही सफाई से टाल गए हों लेकिन हकीकत यह है कि यह मुद्दा रविवार को दोनों नेताओं की साझा प्रेस कांफ्रेंस में मंच से ही उठा था जिस पर दोनों ने खामोशी ओढऩा ही बेहतर समझा।
हुआ यूं कि ताज होटल में राहुल और अखिलेश की साझा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने ताज होटल के पैड पर राहुल को दो लाइन का पेंसिल से लिखा नोट थमाया। अंग्रेजी और हिंदी में लिखे इस नोट में उन्होंने रायबरेली की सीटों के मुद्दे पर बात करने को कहा था। राहुल ने यह चिट्ठी अखिलेश को दिखाई। अखिलेश मुस्कुराए। बात यहीं खत्म नहीं हुई। दरअसल, प्रेस कांफ्रेंस के बाद अखिलेश यादव यह चिट्ठी टेबल पर ही छोड़ गए। यह चिट्ठी मीडिया के हाथ लग गई और फिर यह संकेत भी मिला कि अभी भी सीटों को लेकर दोनों दलों में स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। हालांकि प्रेस कांफ्रेंस में सवालों पर राहुल भले यह कहते रहे कि सीटों के बंटवारे का मुद्दा बहुत छोटा है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन पर युवाओं की राय
- मैनेजमेंट छात्र अभिनव ने कहा कि अखिलेश और राहुल की दोस्ती सिर्फ चुनाव तक न सीमित रहे। प्रदेश की जनता से किए गए वादों पर भी दोनों को खरा उतरना होगा। अखिलेश यादव द्वारा युवा पीढ़ी के लिए काफी कुछ किया गया। अब राहुल को भी साथ देना होगा।
- इंजीनियरिंग छात्र अभय द्विवेदी ने कहा कि सपा अपने आप में मजबूत थी। अखिलेश को अपने दम पर चुनाव लडऩा था। अखिलेश और राहुल की दोस्ती किस हद तक सार्थक होगी, यह तो चुनाव परिणाम से ही स्पष्ट होगा।-
- इंजीनियरिंग छात्र गौरांगी सक्सेना ने कहा कि दो युवा नेताओं के बीच दोस्ती हुई है। यह प्रदेश के हित में रहेगा। मगर बेहतर हो कि अखिलेश यादव द्वारा अधिक से अधिक निर्णय लिए जाएं, क्योंकि उन्होंने पांच वर्षों में विकास कार्यों को काफी गंभीरता से लिया है।