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कर ढांचे में परिवर्तन जरूरी

बजट में होने वाली घोषणाओं को लेकर कारोबारियों में जिज्ञासा कुछ ज्यादा ही है। जो अच्छा है उसे और अच्छा कैसे किया जाए। कैसे सुधार हो इसको लेकर उनका कहना था कि खास तौर से नोटबंदी के बाद उपजे हालात में अर्थव्यवस्था और आम जन की बेहतरी के लिए कर ढांचे में आमूल चूल परिवर्तन होने चाहिए। नोटों के विमूद्रीकरण के कारण सारे धन का संग्रहण बैंकों में हो चुका है और मुद्रा तरलता बाजार से गायब है। जिसके कारण कृषि, आधार भूत ढांचा, रियल स्टेट, आटो मोबाइल, इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में नई कर प्रणाली लागू की जानी चाहिए। जिससे कर के  दायरे को बढाया जा सकेगा।tax-evasion_1485698439
 
आटो मोबाइल कारोबारी अरुण कुमार सिंह मुद्रा की कमी से कृषि क्षेत्र में सुस्ती आई है। इसका प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। अर्थव्यवस्था में सुधारों की आवश्यकता है। आने वाले बजट में रियल स्टेट, आटो मोबाइल और आधार भूत ढांचा में सुधार होने की संभावना है। रियल स्टेट कारोबारी रवि पांडेय कहते हैं कि बजट में  होम लोन पर ब्याज कम होना चाहिए। इससे रियल स्टेट में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सस्ते घर के सपने आम लोगों के पहुंच में आ जाएंगे।
नोटबंदी के बाद देश के प्रमुख महानगरों में रियल स्टेट में मंदी आई है। जिसके कारण दामों में गिरावतट दर्ज की गई है। कारोबारी वृंदावन पाठक कहते हैं कि आम आदमी को आयकर में छूट की सीमा पांच लाख तक बढाया जाना चाहिए। जिससे कर का दायरा भी बढेगा और आटो मोबाइल या अन्य क्षेत्रों में इसका लाभ आम जनता को मिलेगा।
 बजट में वाहनों के दाम बढने की संभावना है। वैसे यह बजट चुनावी बजट है। कास्मेटिक व्यापारी शहंशाह ने कहा कि नोटबंदी की मार से बाजार पूरी तरह मुक्त नही हुआ है। सौंदर्य प्रसाधन पर टैक्स 14 प्रतिशत तक बढ गया है। इस बजट में व्यापारियों को सौंदर्य प्रसाधन में छूट की दरकार है। ताकि उनका व्यापार भी किसी प्रकार गति पकड़े।

रेल बजट को लेकर लोगों में काफी उम्मीदें हैं। लोग मुंबई के लिए ट्रेन मिलने की आस लगाए बैठे हैँ। कहने को तो दो से तीन ट्रेने जौनपुर होकर मुंबई जाती हैं लेकिन लोगों को इसमें सीट नही मिल पाती है। अकेले जौनपुर के ढाई लाख परिवार मुंबई में रहते हैं और बड़ी संख्या में लोगों का आना जाना रहता है। ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि रेल बजट में मुंबई के लिए कोई न कोई ट्रेन जरूर मिलनी चाहिए। रेल राज्यमंत्री ने ऐसा आश्वासन भी दिया था। राजन सिंह कहते हैं कि रेलवे में किराया तो बढा लेकिन सुविधाएं कुछ नही बढ़ी। स्टेशनों का आधार भूत ढांचा वही है। छोटे स्टेशनों पर पीने के लिए न तो पानी है और नही बाथरूम की व्यवस्था है।
मानिक चंद्र प्रजापति बोले कि मुंबई जाने वाली ट्रेनों में खड़े होने तक  की जगह नही रहती है। जबकि वेटिंग टिकट चार से पांच सौ तक दिया जाता है। बजट को लेकर लोगों को जौनपुर से ट्रेन चलाए जाने की संभावना है।

संतोष शर्मा  ने कहा कि ट्रेनों की आए दिन हो रहे हादसे से हर कोई डरा महसूस कर रहा है, लेकिन हादसे को रोकने के लिए रेलवे कोई कदम नही उठा रहा है। इस बजट में ऐसा लग रहा है कि रेल हादसे रोकने लिए जरूर कोई कदम उठाए जाएंगे। भोलानाथ केशरवानी ने कहा कि ट्रेनों में खाने पीने की सुविधा तो रही है लेकिन रेल खाने में गुणवत्ता के नाम पर कुछ भी दिखाई नही देता है। बाथरूम की सफाई नही होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जबकि दूर की ट्रेनों में व्यवस्‍थाएं सही होनी चाहिए।