लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के सहायक अभियंता (एई) रमाकांत बाजपेयी के साथ मारपीट के आरोपितों को पुलिस घटना के सात दिनों बाद भी नहीं पकड़ सकी है। मामला डीएम व एसपी के संज्ञान में होने के बावजूद पुलिसिया कार्रवाई की गति धीमी होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दरअसल जिन सरकारी महकमों में ठेकेदारी पर काम चलते हैं उसके अधिकारियों व कर्मचारियों की काफी फजीहत होती है। सत्ताधारी दल के नेता व बदमाश उनका उत्पीड़न करते हैं। सड़क व अन्य निर्माण कार्य कराने वाली सरकारी संस्थाओं के कुछ अधिकारी व कर्मचारी ही सत्ता से नजदीकी रखने वाले कथित नेताओं व अपराधी प्रवृत्ति के लोगों से सम्पर्क रखते हैं। वह ऐसे लोगों का प्रयोग विभाग के ही अपने प्रतिद्वंदी अधिकारियों व कर्मचारियों को दबाने में करते हैं। इसके लिये उन्हें ठेका व पैसा भी वह उपलब्ध कराते हैं।
यही कारण है कि कुछ बदमाशों की हनक से अधिकारी व कर्मचारी घबराते हैं। पीडब्ल्यूडी कार्यालय में एई के साथ मारपीट की घटना इसी का नतीजा बताया जा रहा है। विभागीय लोगों की मानें तो विभाग के कुछ लोग आरोपितों को समय-समय पर पैसे देते रहे, इससे उनकी आकांक्षा बढ़ गयी। उन्होंने पहले तो पीड़ित एई से फोन पर ही पैसा मांगा, लेकिन जब उन्होंने देने से मना कर दिया तो दो बदमाशों ने आफिस में घुसकर मारपीट की। घटना के बाद से बाकी अधिकारी व कर्मचारी सहमे हुए हैं।
एई से मारपीट में संगठनों ने साधी चुप्पी
छोटे-मोटे मामलों को लेकर आंदोलन करने वाले कर्मचारी संगठन भी पीडब्ल्यूडी के एई के साथ मारपीट की घटना पर मौन हैं। इसका कारण चाहे जो भी हो, लेकिन लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। जिले में दर्जनों की संख्या में कर्मचारी संगठन बनाये गये है। उनका मकसद कर्मचारियों के साथ होने वाले उत्पीड़न को लेकर संघर्ष करना है। हालांकि पीडब्ल्यूडी के एई रमाकांत बाजपेयी के साथ कार्यालय में घुसकर हुई मारपीट के बाद किसी भी संगठन की ओर से आवाज नहीं उठाया जा रहा है। खुद लोक निर्माण विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।