नई दिल्ली। मोदी सरकार नोट बैन से देश की इकॉनमी को जल्द पटरी पर लाने को लेकर कमर कस ली है। इसके लिए सरकार कुछ कदम उठाने जा रही है। इन कामों के लिए सरकारी खजाने में कैश चाहिए। इस नाते सरकार अब खर्च कम और टैक्स कलेक्शन पर जोर देगी। सरकारी खर्च कम करने के लिए अब नए सिरे से प्लानिंग शुरू हो चुकी है।
सरकारी खर्च में इन तरीकों से होगी कटौती
सूत्रों के अनुसार अधिकारियों के विदेशी दौरों की संख्या कम की जाएगी। मीटिंग और प्रेस कांफ्रेस के लिए जारी होने वाले फंड में कमी होगी। विडियो कॉन्फ्रेंसिंग को तवज्जो देकर, देश के अंदर ही आधिकारिक दौरों को लगभग समाप्त किया जाएगा। सरकार मे सभी विभागों में काम करने वालों की लिस्ट मंगाई है। अगर किसी विभाग में मैनपावर कम है तो नई भर्तियों करने की जगह कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाएगा।
किसी विभाग में अगर काम करने वालों की ज्यादा कमी है तो आउटसोर्सिंग से काम लिया जाएगा न कि नई भर्तियों करके। सरकार कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे लोगों को पर्मानेंट करने की योजना को टालेगी।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांता दास का कहना है कि हम उतनी ही राहत दे सकते हैं, जितने वित्तीय संसाधन उसके पास हैं। ज्यादा राहत देने के लिए ज्यादा वित्तीय संसाधन बढ़ाने होंगे।
ऐसे होगी कटौती
- मॉडर्न मैनेजमेंट के तरीके अपनाएगी सरकार
- अधिकारियों के विदेशी दौरों की संख्या घटेगी
- प्रेस कॉन्फ्रेंसों के बजट में होगी कटौती
- देश के अंदर सरकारी दौरे लगभग खत्म होंगे
- ट्रांसपोर्टेशन खर्च की समीक्षा की जाएगी
- आउटसोर्सिंग से पूरी होगी मैनपावर की कमी
- कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी फिलहाल पर्मानेंट नहीं किए जाएंगे