जप -तप की वजह से माह भर से गुलजार माघ मेले में धीरे धीरे रौनक कम होने लगी है। बड़े संतों की रवानगी हो गई है तो कुछ जाने की तैयारी में लगे हुए हैं। माघी पूर्णिमा के बाद कल्पवासियों के शिविर भी उजडऩे लगेंगे। इसके साथ ही माघ मेले का एक तरह से समापन हो जाएगा।मकर संक्रांति को पहले स्नान के साथ 14 जनवरी से माघ मेले का शुभारंभ हुआ था। मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी स्नान के दौरान मेला पूर्ण वैभव पर था, अब यह समापन की ओर बढ़ रहा है।
पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, स्वामी अधोक्षजानंद सरस्वती सहित कई प्रमुख महात्मा मेला छोड़ चुके हैं। दंडी संन्यासी समिति के अध्यक्ष स्वामी विमलदेव आश्रम, संरक्षण स्वामी महेश आश्रम, ब्रह्माश्रम सहित कई महात्मा आठ फरवरी को रवाना होने की तैयारी में हैं। उनके शिविरों में पैकिंग शुरू कर दी गई है। बड़ी संख्या में अन्य संतों ने भी मेला प्रशासन को सुविधाएं समेटने के लिए सूचित कर दिया है। सेक्टर वाइज यह काम किया जा रहा है। माघी पूर्णिमा स्नान के बाद तो कल्पवासी भी अपने गंतव्य को रवाना हो जाएंगे।