सतगुरु संत रविदास के 640वें जन्मोत्सव पर शुक्रवार को उनकी जन्मस्थली सीरगोवर्धनपुर व राजघाट स्थित मंदिर में गुरु महाराज के दर्शन को रैदासियों का हुजूम उमड़ पड़ा। रविदास मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए सुबह से देर शाम तक संत रविदास के अनुयायियों की लंबी कतार लगी रही। सीर में आयोजित सत्संग के दौरान संत निरंजन दास ने भक्तों को गुरु के संदेशों को आत्मसात करने व मानवता की सेवा का आशीर्वाद दिया।
माघ पूर्णिमा पर राजघाट व सीर के मंदिर को विद्युत झालरों व फूल-मालाओं से सजाया गया। संत रविदास की प्रतिमा को भी सुगंधित फूलों की माला पहनाई गई। सुबह से ही गुरुदेव के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों के आने का क्रम शुरू हो गया। जैसे-जैसे दिन ढलता रहा, भीड़ बढ़ती रही। महिला व पुुरुष अलग-अलग कतार में लगकर दर्शन-पूजन कर रहे थे। सीर गोवर्धन में दर्शन-पूजन के साथ ही उमड़े लाखों रैदासियों ने मंदिर से सत्संग पंडाल के बीच तकरीबन दो किलोमीटर के दायरे में लगे भव्य मेले का भी आनंद उठाया। पूरे मेला क्षेत्र में लाउडस्पीकर पर गुरुवाणी गूंजती रही। पंजाब के विभिन्न शहरों से आए विभिन्न संगठनों के सेवादार जगह-जगह शिविर लगाकर गुरुसेवा के तहत भक्तों को लंगर छकाते रहे।
सीरगोवर्धनपुर स्थित श्रीगुरु रविदास जन्मस्थान पब्लिक चैरिटेबुल ट्रस्ट की ओर से आयोजित जन्मोत्सव का आगाज ट्रस्ट के चेयरमैन व सच खंड बल्ला डेरा के गद्दीनशीन संत निरंजन दास ने सुबह नगवां स्थित संत रविदास पार्क में रविदास की प्रतिमा पर माल्यार्पण व रविदास मंदिर के बाहर रविदासिया धर्म ध्वज फहराकर किया। इसके बाद संतों व हजारों भक्तों के साथ सत्संग पंडाल में पहुंचे। वहां मंच पर जालंधर के भक्तों द्वारा दी गई एक कुंतल चांदी की पालकी पर सतगुरु का चित्र सुशोभित कर पूजन-अर्चन किया। रैदासियों से खचाखच भरे पंडाल में भजन-कीर्तन के साथ संत निरंजन दास ने भक्तों को सतगुरु की वाणी को आत्मसात कर बिना किसी भेदभाव के मानवता की सेवा करने का संदेश दिया। उन्होंने विभिन्न संतों के साथ ही विशिष्टजनों को शाल ओढ़ाकर आशीर्वाद दिया। शाम को टाउनहाल से सीरगोवर्धनपुर तक बाजे-गाजे के साथ संत रविदास की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। विभिन्न स्थानों से आईं सतगुरु से संबंधित झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं।
इंग्लैंड व अमेरिका की संगत की ओर से दिए गए छह लाख पौंड
सतगुरु रविदास के जन्मोत्सव में शामिल होने आए देश-विदेश के भक्तों ने दिल खोलकर उपहार व नकद राशि दान में दी। इंग्लैंड व अमेरिका की संगत की ओर से छह लाख पौंड दान देने के साथ ही मुख्य सत्संग स्थल पर ही भव्य व विशाल सत्संग सभागार बनाने की घोषणा की गई। पिछले वर्ष एक भक्त द्वारा अस्पताल खोलने के लिए एक करोड़ रुपए दान दिया गया था जिससे मंदिर के समीप ही जमीन खरीदी गई। भारत की विभिन्न संगतों की ओर से भी लाखों रुपये, नकद व चेक माध्यम से दान दिए गए। कई भक्तों ने संत निरंजन दास को सोने की चेन, अंगूठी व अन्य उपहार प्रदान किए।