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सिर्फ कागजों में चल रहा ‘राजकीय कन्या बेसिक प्राइमरी स्कूल’

आधी आबादी को शिक्षा के जरिए समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की सरकारी मुहिम को जिले में बैठे जिम्मेदार जमकर चूना लगा रहे हैं। इसकी एक बानगी ‘राजकीय कन्या बेसिक प्राइमरी स्कूल’ के रूप में देखने को मिली। सन् 1990 के बाद जब से स्कूल को पकवाइनार से हटाकर तहसीली स्कूल के साथ संबद्ध किया गया, तब से इस स्कूल के नाम न तो अलग से कोई भवन एलार्ट किया गया है और न ही इसमें कोई नामांकन किया गया है।school-shimla_1480574499
 
सिर्फ कागज में तहसीली स्कूल के बच्चियों को दिखाकर 26 वर्षों से ‘राजकीय कन्या बेसिक प्राइमरी स्कूल’ का फर्जी संचालन किया जा रहा है।  गौरतलब हो कि सन् 1978 में परिषदीय विभाग के गठन होने के बाद लड़कियों के उत्थान के लिए अलग से ‘राजकीय कन्या बेसिक प्राइमरी स्कूल’ पूरे देश के हर जिलों में स्थापना की गई।

इसके तहत बलिया जनपद में भी इसकी स्थापना जीजीआईसी के अतिरिक्त कमरे में हुई। इसके बाद स्कूल स्थानांतरित होकर पकवाइनार चला गया। सन् 1990 में इसको जनपद के बेसिक शिक्षा कार्यालय व तहसीली स्कूल से संबद्ध कर दिया गया। इसके तहत बेसिक शिक्षा कार्यालय कैंपस में इसके लिए लिए अलग से भवन एलार्ट करना था तथा उसमें अधिक से अधिक बच्चियों का नामांकन करना था।

लेकिन आज तक इसका संचालन धरातल पर नहीं सिर्फ कागजों में चल रहा है। क्योंकि बीएसए कैंप कार्यालय में इसके नाम से अलग से कोई भवन एलाट नहीं है। सूत्र की मानें तो कागज में फर्जी तरीके से जो बच्ची तहसीली स्कूल में पढ़ती है, उनका नाम दिखाकर कागजों में ही स्कूल का संचालन किया जा रहा है।