मुंबई का कौन होगा किंग। बीएमसी चुनाव के नतीजों के बाद भी ये सवाल बना हुआ है। क्योंकि कभी हां कभी ना की राजनीति में लगी हुई बीजेपी और शिवसेना लगभग बराबरी पर हैं। 84 सीटों पर टिकी शिवसेना और 82 सीटों पर विजेता बीजेपी अकेले देश की सबसे अमीर महानगर पालिका पर कब्जा नहीं जमा सकती हैं। दोनों पार्टियों को एक दूसरे की जरूरत पड़ेगी। लेकिन नतीजों के बाद ये साफ है की बीजेपी का दबदबा महाराष्ट्र में कायम है। आज 10 नगर पालिकाओं के चुनाव के नतीजे आए हैं जिनमें से 8 पर बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। महाराष्ट्र में बीजेपी के शानदार पर्फॉर्मेंस का श्रेय मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस को जाता है। और सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे 84 सीटों के साथ भी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। अब सवाल है कि क्या बीजेपी और सेना फिर साथ आएंगी। याद कीजिए कि दोनों पार्टियों ने चुनाव के पहले एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। क्या नैतिक तौर पर उनका अब साथ आना ठीक होगा।
वहीं बीजेपी ने ऐलान किया है कि ओडिशा और महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में मिली सफलता पर वह 25 फरवरी को विजय उत्सव मनाएगी. पीएम मोदी ने भी कई ट्वीट कर भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई दी है.
बीएमसी में बीजेपी से गठबंधन के सवाल पर उद्धव ने कहा कि मैंने पहले ही अपनी अलग राह के बारे में बता दिया है. मेयर शिवसेना का ही बनेगा, बस थोड़ा इंतजार करें. कैसे नंबर आएंगे, ये आप लोग देख लीजिएगा. निकाय चुनाव में सफलता मिलने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका में मेयर किसका होगा, ये कोर कमेटी में तय करेगी. उन्होंने कहा कि मैं सबका आभार मानता हूं कि लोगों ने मोदी जी के काम पर भरोसा किया है. ये विजय अभूतपूर्व है. महानगरपालिका में पिछले बीस पच्चीस साल में इतना बहुमत कभी किसी पार्टी को नहीं मिला. हमने जिस एजेंडे पर लोगों से वोट मांगा, वो मिला. हमने पूरी सीट भी नहीं लड़ी, तब भी इतना जीते. एक जगह अभी भी टाई पर है. फडणवीस ने कहा कि मुंबई में बीस सीटों पर हम बहुत कम सीटों से हारे. मुंबई की जनता ने बड़ा संदेश दिया है कि मोदी जी की पारदर्शिता को जिस तरह से राज्य की बीजेपी सरकार आगे ले जाने की कोशिश कर रही है, उसे लोगों ने माना है. पुणे, अकोला, नागपुर, नाशिक सब जगह बहुमत मिला है. पूरे महाराष्ट्र ने बीजेपी के काम पर मुहर लगाई है. भाजपा की जीत पारदर्शिता और नोटबंदी के लिए वोट किये जाने के चलते आयी है. उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे से हाथ मिला लिया होता तो आज शिवसेना को अफ़सोस नहीं करना पड़ता. शिवसेना के 38 उम्मीदवार सिर्फ 100 से 1500 वोटों से हार गए. इन 38 सीटों पर एमएनएस की वजह से बड़े पैमाने पर मराठी वोटों का बंटवारा हुआ, जिसका खामिया शिवसेना को उठाना पड़ा. बीएमसी में शिवसेना की तृष्णा विश्वासराव तो महज 7 वोटों से हार गईं. उद्धव ठाकरे को लगा था कि वो अकेले दम बहुमत ले आएंगे. यही वजह है कि जब राज ठाकरे ने गठबंधन का प्रस्ताव भेजा था तब उद्धव ने मना कर दिया था.
मुंबई महानगर पालिका में शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर तो आई है लेकिन बहुमत का जादुई आंकड़ा 114 नहीं छू सकी. वहीं बीजेपी मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरती हुई दिख रही है.
इस बीच महाराष्ट्र में संजय निरूपम के बाद पंकजा मुंडे ने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी है. परली के जिला परिषद चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए पंकजा सीएम फडणवीस को इस्तीफा सौंपेंगी. परली मुंडे परिवार का गढ़ है, लेकिन यहां एनसीपी के हाथों करारी हार बीजेपी को मिली है. परली में पत्रकारों से बातचीत में पंकजा ने इस्तीफा देने की बात कही है.
बीजेपी के पिपडी चिचवड सीट से भी रवी लानगे निर्विरोध जीत गए हैं. जबकि अमरावती से रीना पटोले जीत गई हैं. बीजेपी से शायना ने कहा, हमे भरोसा है कि इस बार बीएमसी में हम ही आ रहे हैं, शिवसेना को गठबंधन की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. किसी पार्टी की जरुरत नहीं है.
नागपुर महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडनवीस का गढ़ है. ऐसे में सबकी निगाह नागपुर महानगरपालिका पर लगी हुई. पिछले 10 सालों से यहां पर बीजेपी की ही सत्ता रही है.
पिछले 21 साल से बीएमसी पर शिव सेना का कब्जा रहा है.हालांकि शिव सेना को भाजपा का साथ मिलता रहा है. ये पहली बार है जब गठबंधन टूटा है. सीएम देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में भाजपा महाराष्ट्र में अकेले दम पर बड़ी ताकत के रूप में उभरी है. वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा से पिछड़ने के बाद शिव सेना के लिए बीएमसी के नतीजे राजनीतिक दृष्टिकोण से अहम हैं.